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पटना। बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव की मुश्किलें फिर से बढ़ती दिखाई दे रही हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ एक भ्रष्टाचार का मामला फिर से खोल दिया है। सीबीआई ने 2018 में रेलवे परियोजनाओं के आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू की थी। यह मामला उस समय का है जब यूपीए की सरकार में लालू रेल मंत्री थे।
जानकारी के मुताबिक सीबीआई ने मई 2021 में जांच बंद कर दी गई थी, लेकिन अब फिर से यह मामला खोला गया है। इसमें लालू यादव के अलावा, उनके बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और बेटियां चंदा यादव एवं रागिनी यादव भी मामले के आरोपियों में शामिल हैं। सीबीआई के इस कदम से बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है। गौरतलब है कि लालू यादव की हाल ही में किडनी का प्रत्यर्पण हुआ है।
सीबीआई ने 2017 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था। सीबीआई ने लालू पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं ली थी, लेकिन हाल ही में मंजूरी मिलने के बाद राजद संरक्षक के खिलाफ ट्रायल फिर से शुरू कर दिया गया है। विशेष जज गीतांजलि गोयल ने बिहार के डिप्टी सीएम को 28 सितंबर के लिए नोटिस जारी किया है। इस मामले में लालू और उनके परिवार के सदस्यों के अलावा आईआरसीटीसी के कुछ अधिकारी आरोपी हैं। आईआरसीटीसी के पुरी और रांची के दो होटलों को एक निजी फर्म को देने में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है।
बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी इस मामले में आरोपी हैं और उन्हें इस साल सितंबर में दिल्ली की एक अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा गया था। इससे पहले उसी महीने अदालत ने तेजस्वी यादव को जांच एजेंसी द्वारा दायर आवेदन पर नोटिस जारी किया था और उनसे जवाब मांगा था। सीबीआई ने अपनी याचिका में कहा कि तेजस्वी यादव ने जांच अधिकारियों को धमकी दी थी, जिससे मामले को प्रभावित किया जा रहा है।
Admin4
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