बिहार

पटना हाईकोर्ट में फर्जी स्टांप के जरिए केस फाइल, जांच के बाद चार एडवोकेट क्लर्क पर एफआईआर दर्ज, जानें पूरा मामला

Renuka Sahu
5 Feb 2022 3:20 AM GMT
पटना हाईकोर्ट में फर्जी स्टांप के जरिए केस फाइल, जांच के बाद चार एडवोकेट क्लर्क पर एफआईआर दर्ज, जानें पूरा मामला
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फाइल फोटो 

पटना हाईकोर्ट में फर्जी स्टांप (कोर्ट फी स्टांप) के जरिए सात केस फाइल करने का मामला उजागर हुआ है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पटना हाईकोर्ट में फर्जी स्टांप (कोर्ट फी स्टांप) के जरिए सात केस फाइल करने का मामला उजागर हुआ है। जांच के बाद कोतवाली थाने में इसकी एफआईआर दर्ज कराई गई है। पटना हाईकोर्ट के डिप्टी रजिस्टार जय कुमार सिंह की ओर से चार एडवोकेट क्लर्क जीएन सिंह, प्रदीप प्रसाद, आशीष कुमार व जीत पंडित के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। इसकी पुष्टि कोतवाली थाना प्रभारी सुनील कुमार सिंह ने की है। उन्होंने बताया कि केस दर्ज कर चारों आरोपित एडवोकेट क्लर्क के खिलाफ मामले की जांच की जाएगी। दरअसल, शक होने पर हाईकोर्ट प्रशासन ने इसकी जांच स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड से कराई। जांच में कोर्ट फी स्टांप के जाली होने का पता चला।

क्या है पूरा मामला
कोतवाली प्रभारी के मुताबिक दर्ज कराई गई एफआईआर में आरोपित चारों एडवोकेट क्लर्क पर जाली स्टांप के जरिए सात केस फाइल करने का मामला पकड़ा गया। फाइल किए गए केस में नियमानुसार स्टांप भी लगाया गया था। सभी स्टांप एक जैसे ही थे। इसके बाद न्यायालय के स्टाफ को शक हुआ और फिर इसकी जांच स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआइएल) से करायी गयी। जांच के बाद एसएचसीआईएल ने हाईकोर्ट को बताया कि उनके यहां से उक्त कोर्ट फी स्टांप को जारी नहीं किया गया था। इससे यह स्पष्ट हो गया कि उक्त स्टांप जाली है। मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपितों के खिलाफ कोतवाली में मामला दर्ज कराया गया।
सिंडिकेट का पता लगा रही पुलिस
केस दर्ज करने के बाद कोतवाली पुलिस जाली स्टांप के मामले में पूरे सिंडिकेट का पता लगाने में जुट गई है। जानकारों की मानें तो यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी जाली स्टांप बनाने का मामला प्रकाश में आ चुका है। बहादुरपुर के एक प्रिंटिंग प्रेस में पुलिस टीम ने छापेमारी कर जाली स्टांप बनाने की मशीन के साथ ही कारोबारी को गिरफ्तार किया था और लाखों रुपये मूल्य के स्टांप की बरामदगी की गयी थी। जाली स्टांप पकड़े जाने के बाद ही ई-स्टांप की शुरुआत की गयी थी, लेकिन एक बार फिर से जाली स्टांप मिलने का मामला उजागर होने से बड़े गिरोह का हाथ होना माना जा रहा है।
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