बिहार

धूल फांक रही कैंसर जांच मशीन, निजी जांच घरों में जेब ढीली कराने को मजबूर मरीज

Harrison
19 Sep 2023 9:45 AM GMT
धूल फांक रही कैंसर जांच मशीन, निजी जांच घरों में जेब ढीली कराने को मजबूर मरीज
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बिहार | पूर्वी बिहार, कोसी-सीमांचल के 13 जिलों में सबसे बड़े अस्पताल में शुमार जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (मायागंज अस्पताल) में कैंसर मरीजों की जांच के लिए जिस मशीन को शुरू की गयी थी वह तीन माह बाद धूल फांकने के लिए एक लैब में रख दी गयी है. इस मशीन से अब तक एक भी मरीज की कैंसर जांच नहीं की जा सकी है. ऐसे में सुविधा होने के बावजूद मरीज निजी जांच घरों में कैंसर की जांच कराकर अपनी जेब ढीली कराने को मजबूर हो रहे हैं.
मायागंज अस्पताल के आउटसोर्सिंग एजेंसी के लैब में 20 जुलाई को इम्यूनो एसे मशीन इंस्टाल कर उसका ट्रायल किया गया. ये मशीन ओवेरियन कैंसर, पैनक्रिएटिक, गैस्ट्रिक कैंसर व ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लायक हो गई थी. इस मशीन के जरिये महिलाओं की बांझपन की जांच की सुविधा भी मिलती. मशीन के जरिये एक साथ 120 सैंपल की जांच की जा सकती है. अधीक्षक डॉ. उदय नारायण सिंह ने कहा कि मशीन से जांच की सुविधा मरीजों को देने के लिए एचओडी संग बैठक कर जल्द निर्णय लिया जाएगा.
हर सप्ताह 10 से अधिक मामले मिलते हैं संदिग्ध
इस मशीन से आज तक एक भी मरीज की जांच नहीं हुई. ओपीडी में कैंसर स्क्रीनिंग के लिए होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर मुजफ्फरपुर की टीम इलाज के लिए आये मरीजों का कैंसर स्क्रीनिंग करती है. औसत प्रति सप्ताह स्क्रीनिंग में 10 से 12 कैंसर के संदिग्ध मामले जांच में पाए जाते हैं. लेकिन कन्फर्मेशन जांच के लिए इन मरीजों को या तो पटना-मुजफ्फरपुर या फिर निजी जांच लैब में जाकर अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है.
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