बिहार
निचली अदालत कहना जिला कोर्ट को अपमानजनक,कहा- दिखावे से दूर रहें न्यायाधीश, सोशल मीडिया से बरतें एहतियात
Renuka Sahu
1 Aug 2022 1:22 AM GMT
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फाइल फोटो
सुप्रीम कोर्ट के जज अभय श्रीनिवास ओका ने कहा है कि न्यायाधीशों को शो-ऑफ से दूर रहना चाहिए।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सुप्रीम कोर्ट के जज अभय श्रीनिवास ओका ने कहा है कि न्यायाधीशों को शो-ऑफ (दिखावे) से दूर रहना चाहिए। जिला और अनुमंडलस्तरीय अदालतों को 'निचली' अदालत कहना अपमानजनक है। इन्हें सिविल या ट्रायल कोर्ट कहना चाहिए। जिलास्तरीय न्यायाधीशों को ध्यान रखना चाहिए कि आम आदमी के लिए न्याय लेने का यह पहला कोर्ट या प्लेटफॉर्म होता है। ऐसे में इन अदालतों को सशक्त बनाना बेहद आवश्यक है। न्यायमूर्ति ओका रविवार को पटना के बिहार ज्यूडिशियरी अकादमी में 29 व 30 बैच के ज्यूडिशियरी सेवा के करीब 300 अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट में मुकदमा हारने के बाद 70 फीसदी लोग ही दोबारा मुकदमा लड़ते हैं और इसमें 50 फीसदी मामले ही हाईकोर्ट तक पहुंचते हैं। इसकी मुख्य वजह गरीबी समेत अन्य कई सामाजिक अड़चने हैं। ऐसे में ट्रायल कोर्ट के स्तर पर लोगों को वास्तविक न्याय दिलाने की सार्थक पहल की जानी चाहिए। जस्टिस ओका ने ज्यूडिशियरी की मौजूदा स्थिति की तुलना 80 के दशक से करते हुए कहा कि उस समय ज्यूडिशियरी अधिकारी के लिए एक स्कूटर खरीदना मुश्किल होता था परंतु शेट्टी कमिशन और सातवां वेतनमान लागू होने से जजों की स्थिति अब बेहतर हो गयी है। नवोदित जजों से कहा कि जज बनने के बाद जॉब संतुष्टि हो जानी चाहिए और अपने कार्यकाल में कुछ बेहतरीन आदेशों को देने पर फोकस करना चाहिए। जस्टिस ओका ने सबको यह भी बताया कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं, किन बातों से परहेज करने की आवश्यकता है।
सोशल मीडिया के उपयोग में एहतियात की जरूरत
कार्यक्रम में ज्यूडिशियरी अकादमी के अध्यक्ष जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह ने कहा कि जजों को संवेदनशील और केयरिंग दृष्टिकोण रखना चाहिए। सोशल मीडिया की भूमिका अवधारणा बनाने में अहम होती है। ऐसे में इसके उपयोग में बेहद एहतियात बरतने की आवश्यकता है। निदेशक राकेश मालवीय ने स्वागत संबोधन और धन्यवाद ज्ञापन उप-निदेशक आलोक गुप्ता ने दिया। इस मौके पर पटना हाईकोर्ट के सभी न्यायाधीशों के अलावा जिला, अनुमंडल समेत अन्य जज और अकादमी के एओ आदित्य पांडेय व सहायक निदेशक किशोर कुणाल समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।
पटना हाईकोर्ट में केस क्लियरेंस रेट सौ फीसदी
पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा मामले पटना हाईकोर्ट में दायर होते हैं। साथ ही यहां का सीसीआर (केस क्लियरेंस रेट) भी शत-प्रतिशत है। सीसीआर का मतलब एक साल में जितने मुकदमे दायर होते हैं, उनका इतने समय में ही निपटारा होना है। हालांकि, उन्होंने बिहार में पहले से लंबित पड़े मामलों पर चिंता जताते करते हुए स्पेशल ड्राइव चलाने की बात कही। इसमें जिला कोर्ट की भूमिका अहम है। बेल से जुड़े अधिकतम मामलों का निपटारा जिला स्तरीय कोर्ट में ही हो जाना चाहिए, जिससे हाईकोर्ट पर मुकदमों का बोझ कम हो सके।
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