बक्सर: नौकरी दिलाने के नाम पर 13.19 लाख रुपये की ठगी के पांच माह बीत गये लेकिन इस मामले में साइबर पुलिस के हाथ अब तक खाली हैं.
साइबर पुलिस की सुस्ती उसकी कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रही है.जबकि, दूसरी तरफ केंद्र सरकार साइबर बदमाशों के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जता रही है.फुलवड़िया-तीन के वार्ड-छह निवासी मो.फहीम उद्दीन के पुत्र मो. मोजम्मिल आलम ने 13 जून को साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी.एफआईआर में पीड़ित ने कहा है कि टेलीग्राम एप के माध्यम से पार्ट टाइम जॉब का लालच देकर हिल्टन ग्रुप्स ऑफ होटल्स के रिव्यु के नाम पर मुझे इनक्रेडिबल इंडिया नामक ग्रुप में जोड़ा.पहली बार में मुझे इस कार्य से लगभग 20 हजार रुपये का लाभ मिला.जब मैंने दूसरी बार होटल रिव्यू का कार्य किया तो उसी में मेरा कुछ रुपये भी फंस गये.इस कारण मैं चाहकर भी उससे अलग नहीं हो सका.इससे इन लोगों ने मुझसे 13 लाख 19 हजार 307 रुपये भरवा दिया ताकि लाभ की राशि मिल सके.उसके बाद इन लोगों ने मुझे इनक्रेडिबल इंडिया नामक ग्रुप से बाहर कर दिया.
उस ग्रुप के तमाम लोगों ने अपना प्रोफाइल फोटो भी हटा लिया.इन रुपये का ट्रांसजेक्शन मेरे व मेरी पत्नी के खातों से हुआ.पुलिस का एक ही बयान आता है कि अनुसंधान जारी है.जल्द ही मामले का खुलासा होगा.
सेवानिवृत्त रेलकर्मियों का बनेगा डिजिटल प्रमाणपत्र
सोनपुर मंडल से सेवानिवृत्त रेल कर्मचारियों के डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट बनाने को लेकर मंडल द्वारा पांच जगहों पर कैंप लगाने का निर्णय लिया है.कैंप बरौनी, सोनपुर, मुजफ्फरपुर, थाना बिहपुर व शाहपुर पटोरी स्टेशन पर 21 व 22 को लगाया जाएगा.
विदित हो कि सोनपुर मंडल द्वारा डिजिटल जीवन प्रमाण यानी डीएलसी अभियान 3.0 का आयोजन किया जा रहा है ताकि पेंशनधारकों के लिए फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक के माध्यम से जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सके.इस विधि से पेंशनधारकों को एंड्रॉइड स्मार्ट फोन पर आधार से जुड़े पहचान के माध्यम से प्रमाणपत्र जमा करने की सुविधा मिलती है.
इससे पहले पेंशनधारकों को पेंशन वितरण कार्यालयों में जाना पड़ता था जो बुज़ुर्ग लोगों के लिए तकलीफदेह होता था. फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक ने बायोमेट्रिक उपकरणों की आवश्यकता को समाप्त कर दिया है.इससे जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की प्रक्रिया अधिक सुलभ हो गई है.