बिहार

कारोबार और रोजगार पर पड़ेगा असर, 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन

Admin4
23 Jun 2022 5:42 PM GMT
कारोबार और रोजगार पर पड़ेगा असर, 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन
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पटना: आगामी 1 जुलाई ( Single Use Plastic Ban From July 1) से केंद्र सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल की खरीद बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध लग जाएगा. कहा जा रहा है कि बैन के बाद कई श्रमिकों की नौकरी जाने वाली है. वर्तमान में राज्य में 28 कारखानों के साथ 200 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक कारोबार (Impact Of Single Use Plastic Ban ) है. प्लास्टिक के एकल उपयोग से पर्यावरण पर कैसे प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और कारखाना मालिकों की क्या योजना है. विस्तार से जानें...

प्लास्टिक की इन चीजों के इस्तेमाल पर बैन: बता दें कि 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक प्रतिबंधित होंगे. इनके अलावा थर्माकोल से बने कप प्लेट ग्लास और अन्य कटलरी आइटम भी एक जुलाई से प्रतिबंधित होंगे. प्लास्टिक स्टिक वाले ईअर बड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की डंडिया, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम की डंडियां और थर्माकोल की सजावटी सामग्री और कप प्लेट ग्लास काटे चम्मच चाकू, स्ट्रे, मिठाई के डब्बे और निमंत्रण कार्ड के अलावा सिगरेट पैकेट के आसपास लपेटने वाले प्लास्टिक और 100 माइक्रोन से कम वाले प्लास्टिक या पीवीसी बैनर पर एक जुलाई 2022 से प्रतिबंध लागू होगा. जो प्लास्टिक कंपोस्ट योग्य है, उस पर प्रतिबंध लागू नहीं होगा.

फैसले के खिलाफ व्यवसायी: सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल पर प्रतिबंध से एक तरफ जहां इस क्षेत्र से जुड़े व्यवसायियों में रोष है, वहीं वह सरकार से अपने लिए अनुदान की मांग कर रहे हैं. उनका यह कहना है कि इस नियम से हमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन हमारा जो इसमें लाखों करोड़ों रुपया लग चुका है, उसकी भरपाई आखिर कैसे की जाएगी?

व्यवसायियों ने मांगी मोहलत: प्लास्टिक थर्मोफॉर्मर्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार कहते हैं कि अपने देश में ही इस विषय पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट हो रहा है. जब तक कोई बेहतर नतीजे ना निकल जाए सरकार हमें मोहलत दे. रिसर्च एंड डेवलपमेंट के बाद जैसे ही साल डेढ़ साल के अंदर मटेरियल हमारे पास आ जाएगा. हम सरकार का साथ देने के लिए तैयार रहेंगे. आज अगर सरकार बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था की इस इंडस्ट्री को बंद करती है तो हजारों करोड़ रुपए का नुकसान होगा.

बिहार में 200 करोड़ का सालाना कारोबार: बता दें कि पूरे बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल का 200 करोड़ का सालाना व्यापार होता है. पूरे बिहार में 28 फैक्ट्रियां हैं जिसमें से चार केवल पटना में ही है. इन फैक्ट्रियों से हर रोज तकरीबन 45 टन प्लास्टिक ग्लास का उत्पादन होता है. सिंगल सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल निर्मित ग्लास चम्मच कांटा प्लेट कटोरी आदि का उपयोग अगली 1 जुलाई से नहीं होगा. सबसे बड़ी बात यह है कि इस फील्ड पूरे बिहार में करीब 3500 से 4000 श्रमिक जुड़े हुए हैं, जिनमें 80% के करीब महिलाएं हैं.

पर्यावरण के हित में फैसला: हालांकि अगर तस्वीर के दूसरे पहलू पर नजर डाली जाए तो प्लास्टिक एक अभिशाप भी बन चुका है. पूरे पटना में प्रतिदिन करीब 100 टन प्लास्टिक कचरे के रूप में निकलता है और अगर पूरे बिहार की बात करें तो सालाना करीब 5845 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है. इन प्लास्टिक के कारण एक तरफ जहां नालियां जाम होती है. वहीं पशु हो या मानव सबकी जान माल की हानि का भी नुकसान बना रहता है.

'रिसाइकिल आइटम को कैटगरी से हटाया जाए': सरकार के इस निर्णय के बारे में प्लास्टिक थर्मोफॉर्मर्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष कहते हैं कि हमें आज तक यह पता ही नहीं चला कि सिंगल यूज प्लास्टिक क्या होता है? दूध की पॉलिथीन हो या शैंपू सब उसी प्लास्टिक में पैक हो कर आता है. सिंगल यूज प्लास्टिक के दायरे में कटलरी आइटम को रखा गया है. वह कहते हैं कि हम लोग जिस ग्लास का निर्माण करते हैं वह हंड्रेड परसेंट रिसाइकिल और इजी यूज करने वाला होता है. हम अपनी इंडस्ट्री में ही इसे 70% तक रिप्रोसेस कर लेते हैं. हमें आपत्ति है कि हमें इस कैटेगरी में रखा गया जबकि रिसाइकिल कैटेगरी में रखा जाना चाहिए था.

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