बिहार
ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने सिखाया तनाव प्रबंधन, बताया राजयोग मेडिटेशन
Shantanu Roy
28 Sep 2022 6:23 PM GMT

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बेगूसराय। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के बेगूसराय सेवाकेंद्र में तनाव प्रबंधन एवं राजयोग मेडिटेशन कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें माउंट आबू से आए अन्तर्राष्ट्रीय वक्ता राजयोगी आत्मप्रकाश ने विषय पर तीन सत्रों में व्याख्यान दिया। आत्मप्रकाश ने कहा कि तनाव शब्द में चार अक्षर आते हैं। इन चार अक्षरों में ही तनाव का कारण निहित है। त अर्थात तन, जब हम तन पर ही ज्यादा ध्यान देते हैं तो तनाव का आह्वान करते हैं। तन के साथ-साथ मन पर भी ध्यान देना उतना ही आवश्यक है। ऐसा करने से हम स्वयं को बहुत हद तक तनावमुक्त रख सकते हैं। दूसरा अक्षर है न अर्थात नकारात्मकता। आज की डिजिटल युग में डिजिटल उपकरणों के अनावश्यक उपयोग से हम स्वयं को नकारात्मकता के अधीन करते जा रहे हैं। जहां नकारात्मकता है वहां तनाव है। तीसरा अक्षर है आ अर्थात आमदनी। लोग आमदनी के पीछे दिन-रात भाग रहे हैं, यह भागमभाग उन्हें तनावग्रस्त करती जा रही है। धन कमाते हुए ध्यान रहे कि धन हमारे लिए है, हम धन के लिए नहीं।
चौथा अक्षर है व अर्थात वचन। हमारे वचन ही हमें औरों को सुख या दुःख की अनुभूति कराते हैं। हमारे द्वारा बोले गए व्यर्थ, अनावश्यक या दु:खदायी बोल तनाव की मकड़जाल में फंसा देते हैं। तनाव से स्वयं को सदा मुक्त करने के लिए राजयोग रामबाण औषधि है। लाखों राजयोगी भाई-बहन इस विधि द्वारा अपने जीवन को सब कुछ करते हुए तनावमुक्त एवं खुशनुमा अनुभव करते हैं। राजयोगी आत्मप्रकाश ने कहा कि तनाव अर्थात परिस्थिति बट्टा मनोस्थिति। परिस्थिति अर्थात जो बातें लोगों के द्वारा समय-समय पर हमारे पास आती रहती हैं, जिन पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है, लेकिन मनोस्थिति तो हमारे नियंत्रण में हो सकती है। हम मनोस्थिति के बजाय परिस्थितियों पर नियंत्रण करने की कोशिश करते हैं, इससे तनाव घटने की बजाय बढ़ता रहता है। मनोस्थिति हमारे नियंत्रण में होगी तो खुशी और शक्ति दोनों में ही वृद्धि होगी और हम किसी भी प्रकार की परिस्थिति को आसानी से संभाल सकेंगे।
इसलिए किसी ने बहुत सही कहा है कि शक्तिशाली लोगों के लिए परिस्थिति एक अवसर होती है, साधारण लोगों के लिए चुनौती और कमजोर लोगों के लिए समस्या का पहाड़ होती है। तनावग्रस्त मन हमारे शरीर को रोगग्रस्त करता है। जब हम तनाव में होते हैं तो शरीर में स्ट्रेस हार्मोन्स का निर्माण होता है, शरीर की अरबों-खरबों कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं। इसके विपरीत जब हम खुश रहते हैं तो हैप्पी हार्मोंस का निर्माण होता है जो हमारे शरीर को तंदुरुस्त और स्फूर्त रखते हैं। आज हम तनाव मुक्ति के लिए बहुत कुछ सुनते-पढ़ते हैं लेकिन इससे बहुत ज्यादा फायदा नहीं होता है। युक्ति अर्थात ज्ञान के साथ-साथ शक्ति की भी जरूरत है, तब हमें चिंता-तनाव-दु:ख से मुक्ति मिल सकती है। हमें शक्ति मिलती है राजयोग से। इस विधि से हमारा बुद्धियोग परमपिता परमात्मा के साथ जुड़ता है और आत्मा शक्तिशाली बनती है। उन्होंने विषय पर संबोधन के बाद राजयोग की सुंदर अनुभूति भी कराई तथा राजयोग की विधि सीखकर नियमित रूप से अभ्यास करने का आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन सेवाकेंद्र प्रभारी कंचन किया।
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