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पटना (आईएएनएस)| जाति आधारित सर्वेक्षण संबंधी बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट के इनकार के बाद भाजपा के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और महागठबंधन सरकार की आलोचना करने के लिए घुमावदार तरीका अपना रहे हैं। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि वह अदालत के आदेश का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा, "मैं अदालत के फैसले पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। मैं बिहार में जाति आधारित जनगणना के खिलाफ नहीं हूं।"
पटना हवाईअड्डे पर मीडियाकर्मियों से बातचीत में उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद पिछले 35 साल से बिहार की सत्ता में हैं और उन्हें यह खुलासा करना चाहिए कि उन्होंने पंचायत और ब्लॉक स्तर पर दलितों, महादलितों, ईबीसी को कितनी नौकरियां दी हैं।
भाजपा प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा, "बिहार सरकार राज्य की जनता को धोखा दे रही है। वे बिना तैयारी के सुप्रीम कोर्ट और पटना हाईकोर्ट गए। यह केवल आम लोगों का वोट लेने के लिए हो रहा है। वे धोखाधड़ी कर रहे हैं। यदि मुख्यमंत्री में दम है, तो वह कानून बनाएं और फिर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाएं। इस मुद्दे पर भाजपा बिहार सरकार के साथ है, लेकिन धोखे के साथ नहीं।"
हालांकि, जदयू एमएलसी और मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, "हमारी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह जनगणना नहीं है, बल्कि बिहार में सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण है। 80 फीसदी काम पहले ही पूरा हो चुका है और अगर बाकी काम पूरा नहीं हुआ, तो राज्य सरकार का खर्चा बेकार चला जाएगा।"
उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह पटना हाईकोर्ट द्वारा 3 जुलाई को निर्धारित अगली सुनवाई से पहले सुनवाई नहीं करेगा।"
कुमार ने कहा, "हम जाति आधारित सर्वेक्षण के मुद्दे पर भाजपा को बेनकाब करना चाहते हैं। भाजपा के कुछ नेता ओबीसी को देने के आरक्षण के खिलाफ अदालत में गए थे। जाति आधारित सर्वेक्षण कर्नाटक में पूरा हो गया। तेलंगाना, ओडिशा और केरल इसकी तैयारी कर रहे हैं, तब बिहार ऐसा क्यों नहीं करेगा?"
उन्होंने कहा, "हमारे पास कानून बनाने और सर्वेक्षण पूरा करने का विकल्प है। यह सरकार के स्तर पर किया जाएगा और वित्तमंत्री विजय कुमार चौधरी ने पहले ही इसे स्पष्ट कर दिया है।"
--आईएएनएस
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