बिहार

शिक्षक नियुक्ति नियमावली में संशोधन भाजपा और रालोजद को पसंद नहीं

Rani Sahu
27 Jun 2023 4:23 PM GMT
शिक्षक नियुक्ति नियमावली में संशोधन भाजपा और रालोजद को पसंद नहीं
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पटना (आईएएनएस)। बिहार सरकार के शिक्षक नियुक्ति नियमावली में संशोधन कर बिहार के निवासियों की अनिवार्य अहर्ता को हटा देना भाजपा और राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोजद) को पसंद नहीं आया है।
बिहार मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक में शिक्षक नियुक्ति नियमावली संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके तहत बिहार में विद्यालय शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए अब बिहार के स्थायी निवासी होने की अर्हता अनिवार्य नहीं है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 4-5 साल से वादा कर रहे थे कि मेरिट लिस्ट बनाकर शिक्षकों की बहाली करेंगे। सीटीईटी और एसटीईटी पास अभ्यर्थियों ने चार साल तक इंतजार किया। पांचवें साल अब सरकार ने फरमान सुना दिया कि बीपीएसससी से शिक्षकों की बहाली होगी। उन्होंने नीतीश सरकार से शिक्षक बहाली में बिहारियों को कम से कम 70 फीसदी आरक्षण देने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार खुद राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाना चाहते हैं। इस नियम से कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन नीतीश कुमार को कम से कम बिहार के क्षेत्रीय पहलू का भी सम्मान करना चाहिए। इस भर्ती अभियान में कम से कम बिहार के 70 फीसदी छात्रों को मौका देना चाहिए।
इधर, रालोजद प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी ट्वीट कर नीतीश सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि राज्य में जो नियोजित शिक्षक हैं और लाखों एसटीईटी, सीटीईटी पास अभ्यर्थी सालों से सरकार की लचर नियमावली एवं बहाली प्रक्रिया के कारण बेरोजगार बैठे हैं। रिक्तियां लाखों में हैं, लेकिन बहाली की प्रक्रिया अबतक सुदृढ़ नहीं हो पाई है, जिसका सीधा असर बिहार की शिक्षा व्यवस्था और नौनिहालों के भविष्य पर पड़ रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि बीपीएससी के माध्यम से आवेदन की प्रक्रिया जारी है और इसी बीच सरकार द्वारा 11 दिनों में अबतक शिक्षक भर्ती नियमावली में 8 संशोधन हो चुके हैं, आने वाले दिनों में न जानें और क्या-क्या बदलाव होंगे। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर नीतीश कुमार ने बिहार को पूरी तरह से क्षत-विक्षत कर देने का मानो ठेका ही ले लिया है।
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