पंचायत व प्रखंडों में नहीं बन पा रहा जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र
मधुबनी न्यूज़: विभिन्न ग्रामीण क्षेत्र के लोग सर्टिफिकेट बनाने के लिए कभी पंचायत, तो कभी प्रखंड दफ्तर का चक्कर काटती हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि जब करोड़ो रुपये खर्च करके पंचायत में पंचायत सरकार भवन बन रहा. ताकि लोगों को लंबी दूरी तय करके प्रखंड दफ्तर का चक्कर नहीं लगाना पड़े. इससे उनके समय और पैसों की बचत होगी. तब फिर इस आदेश से लोगों को क्या लाभ होगा? प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी का चक्कर काटना पड़ेगा ही. तब फिर पंचायत सरकार का आलिशान भवन किस काम आयेगा.
विगत 24 फरवरी को योजना एवं विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव अरूनीश चावला की ओर से इस संबंध में पत्र जारी कराया तो इसमें पहले के प्रावधानों में काफी बदलाव कर दिया गया. अस्पतालों में जन्म लेने वाले शिशुओं का प्रमाण पत्र 30 दिन में अधीक्षक या उपाधीक्षक बना सकेंगे.
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में केवल 30 दिन के अंदर ऐसा करने का अधिकार प्रभारी चिकित्सा प्रभारी के पास रहेगा. मुखिया, सरपंच, पंचायत सचिव, आंगनबाड़ी सेविका, वार्ड सदस्य और चौकीदार जैसे लोग अधिसूचक की भूमिका में रहेंगे. इस संबंध में पत्र जारी करते हुए विभागीय अफसरों को इसे तत्काल आदेश से लागू करने का निर्देश दिया है. इसके अनुसार अब पंचायत क्षेत्रों में प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी यह कार्य करेंगे.पहले पंचायत, आंगनबाड़ी और प्रखंड कार्यालय से जन्म व मृत्यु प्रमाण जारी किया जाता था.
यह जिम्मेवारी पंचायत सचिव और आंगनबाड़ी सेविका के पास थी. जिससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को आसानी से इसका लाभ मिल जाता था. जन्म के 21 दिन के अंदर तो आंगनबाड़ी सेविका और उसके बाद पंचायत सचिव स्तर से ही प्रमाण पत्र जारी होता था.