बिहार

बिहार के बेटे ने किया कमाल, बाढ़ पीड़ितों के लिए बनाया अनोखा घर

Tara Tandi
5 Sep 2023 11:59 AM GMT
बिहार के बेटे ने किया कमाल, बाढ़ पीड़ितों के लिए बनाया अनोखा घर
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कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है. बिहार के बक्सर में इसी का एक उदाहरण देखने को मिला, जहां बाढ़ से त्रस्त जिले में बिहार के लाल ने एक ऐसा घर बनाया है. जिससे बाढ़ की विभिषिका झेल रहे लोगों को पलायन का दंश नहीं झेलना पड़ेगा. बिहार का एक बड़ा हिस्सा हर साल बाढ़ की विभीषिका से परेशान रहता है. बाढ़ अपने साथ तबाही के मंजर के साथ पलायन का दंश भी लाती है, लेकिन बिहार के ही आरा जिले के रहने वाले प्रशांत कुमार ने कुछ ऐसा कर दिखाया है. जिससे विस्थापन का दर्द झेलने वाले लोगों को काफी सहूलियत होगी. दरअसल, प्रशांत कुमार ने पानी पर तैरने वाला एक घर बनाया है. जिसमें आराम से कोई भी व्यक्ति अपने पूरे परिवार के साथ रह सकता है.
लोगों को झेलने पर रहा पलायन का दंश
प्रशांत ने अनुमंडल पदाधिकारी और जिला पदाधिकारी की अनुमति मिलने के बाद कृतपुरा के पास गंगा में फ्लोटिंग हाउस का निर्माण शुरू किया और अब तकरीबन एक से डेढ़ महीने के अंदर ये पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा. इस घर को बनाने में जिस ईंट का प्रयोग हो रहा है उसे गोबर, मिट्टी और भूसे से बनाया गया है. ईंट का वजन सिर्फ ढाई सौ ग्राम है और सामान्य ईंट से थोड़ा सा ज्यादा चौड़ा भी है. लिहाजा हल्का होने की वजह इसे फ्लोट करने में मदद मिलेगी. बाढ़ आने पर ये घर गंगा के पानी के साथ ऊपर चला जाएगा और बाढ़ खत्म होते ही ये अपने स्थान पर आ जाएगा. इसमें बेड रूम, किचन, बाथरूम भी बनाया जा रहा है. साथ ही घर में वेस्ट मैनेजमेंट भी किया जाएगा, जिससे नदी प्रदूषित ना हो. इस घर की लागत तकरीबन 6 लाख रुपये है.
एम्बुलेंस या रेस्क्यू सेंटर
ये घर बनाकर तैयार हो जाता है, तो इसे तैरता हुआ एम्बुलेंस या रेस्क्यू सेंटर भी बनाया जा सकता है. जिससे कि बाढ़ में फंसे लोगों की मदद हो सके. हालांकि फिलहाल घर की लागत 6 लाख के करीब है, लेकिन इसकी लागत को कम किया जाएगा. ताकि आने वाले समय में 2 लाख में ही फ्लोटिंग हाउस का निर्माण हो सके. प्रशांत कुमार के इस अनोखे पहल की आज जमकर सराहना हो रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि फ्लोटिंग हाउस बनाने के लिए प्रशांत को प्रेरणा कहां से मिली. प्रशांत की इस पहल में देश विदेश के लोग भी उनकी मदद कर रहे हैं. उनका सहयोग करने वालों में कनाडा के बेन, नीदरलैंड के कोन एल्थस, जर्मनी से एंड्र्स मूलर, इसराइल से अहमद, बर्लिन से एना जैसे कई नाम है. जो भारत आकर उनकी मदद कर रहे हैं. इसके अलावा स्थानीय लोग भी जोरों शोरों से इस अभियान में जुटे हैं.
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