बिहार

अमेरिका में पढ़ेगा बिहार के मजदूर का बेटा, प्रेम कुमार को मिला 2.5 करोड़ स्कॉलरशिप

Rani Sahu
8 July 2022 12:38 PM GMT
अमेरिका में पढ़ेगा बिहार के मजदूर का बेटा, प्रेम कुमार को मिला 2.5 करोड़ स्कॉलरशिप
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बिहार के पटना में फुलवारीशरीफ का रहने वाला महादलित परिवार का एक बेटा अमेरिका में अपना भविष्य संवारेगा

पटनाः बिहार के पटना में फुलवारीशरीफ का रहने वाला महादलित परिवार का एक बेटा अमेरिका में अपना भविष्य संवारेगा. दरअसल पटना के गोनपुरा गांव के 17 वर्षीय प्रेम कुमार को अमेरिका के प्रतिष्ठित लाफायेट कॉलेज (Lafayette College America) से पढ़ाई के लिए 2.5 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप (Prem Kumar From Patna Got Scholarship Of Rs 2.5 Crore) मिली है. प्रेम भारत में ये उपलब्धि हासिल करने वाले पहला महादलित छात्र है. जो दुनिया के 6 छात्रों में से एक है, जिसे लाफायेट कॉलेज से प्रतिष्ठित 'डायर फेलोशिप' प्राप्त होगी. प्रेम बिहार के महादलित मुसहर समुदाय से आता है और उसका परिवार बेहद गरीब है.

2.5 करोड़ रुपये की मिली छात्रवृत्ति: प्रेम पिछले चार साल से पटना के एक ग्लोबल संस्थान से जुड़ कर पढ़ाई कर रहा है. संस्थान के द्वारा ही कुछ दिन पहले उसे सूचना मिली की अमेरिका के प्रतिष्ठित कॉलेज लाफायेट में उसका सिलेक्शन हो गया है. कॉलेज द्वारा स्नातक की डिग्री हासिल करने के लिए उसे 2.5 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति मिली है. छात्रवृत्ति में पढ़ाई के साथ-साथ रहने के पूरे खर्च कवर होंगे. इनमें ट्यूशन फी, निवास, किताबें, स्वास्थ्य बीमा, यात्रा व्यय आदि शामिल हैं. वर्ष 1826 में स्थापित लाफायेट कॉलेज अमेरिका के टॉप 25 कॉलेजों में शामिल है. इसे अमेरिका के 'हिडन आइवी' कॉलेजों की श्रेणी में गिना जाता है. लाफायेट के अनुसार यह फेलोशिप उन चुनिंदा छात्रों को दी जाती है, जिनमें दुनिया की कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान निकालने के लिए आंतरिक प्रेरणा और प्रतिबद्धता हो.
2020 में पास की मैट्रिक : पटना से सटे फुलवारी शरीफ के गोनपुरा के रहने वाले प्रेम कुमार के महादलित टोला में खुशी की लहर फैल गयी है. पहली बार कोई अमेरिका पढ़ने जा रहा है यह सोचकर प्रेम का पूरा परिवार और इलाके के लोग फूले नहीं समा रहे हैं. अपनी पढ़ाई का लोहा प्रेम ने अमेरिका में भी मनवाया है और 2.5 करोड़ का स्कॉलरशिप अपने नाम कर लिया लेकिन इस छात्र के घर को देखकर आप दंग रह जाएंगे. मुफलिसी और गरीबी को दरकिनार कर सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाले इस छात्र के जज्बे को आज हर कोई सलाम कर रहा है. प्रेम ने बताया कि उसने 2020 में शोषित समाधान केंद्र उड़ान टोला, दानापुर से मैट्रिक पास की थी. इसी कॉलेज से उसने 2022 में साइंस (मैथ) से इंटर की परीक्षा दी है. प्रेम पिछले चार साल से पटना के एक ग्लोबल संस्थान से जुड़ कर पढ़ाई कर रहा है.
कुछ ऐसी है छात्र प्रेम की झोपड़ी: प्रेम का एक झोपड़पट्टी नुमा घर है. इसमें रोज यह एक अंधेरे कमरे में लाइट जला कर पढ़ाई करता है. घर की हालत देख परिवार की गरीबी का अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन अब इसी झोपड़ी से निकलकर प्रेम अमेरिका जाएगा. उसने अपने दम पर यह सबकुछ हासिल किया है. प्रेम के पिता जीतन मांझी मजदूर हैं. वह किसी तरह से अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.
बचपन में ही उठ गया मां का साया: वहीं प्रेम के सर से मां कलावती देवी का साया बचपन में ही छिन गया था. प्रेम जब 12 साल का था तभी उसकी मां का देहांत हो गया था. मां की मौत का कारण भी गरीबी ही थी. जमीन पर सोने के कारण मां को लकवा मार गया था और अंतत: उनकी मौत हो गई. प्रेम अपनी पांच बहनों में इकलौता भाई है.

प्रेम ने दिया लोगों को यह संदेश: प्रेम का कहना है कि समाज के विकास के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है. मेरा उद्देश्य है कि मैं अपनी शिक्षा का उपयोग समाज का उत्थान और निर्माण करने में करूंगा. हमारे समाज में शिक्षा का अभाव है. मैं सभी को यही संदेश देना चाहूंगा कि शिक्षा को अपना सर्वप्रथम अधिकार मानें और इसी पर अपना ध्यान केंद्रित करें. प्रेम कहते हैं कि शिक्षा के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. शिक्षा ही परिवर्तन, पहचान और धन है.
प्रेम को मिला डायर 'फेलोशिप': प्रेम को लाफायेट कॉलेज से प्रतिष्ठित 'डायर फेलोशिप' प्राप्त होगी. लाफायेट के अनुसार यह फेलोशिप उन चुनिंदा छात्रों को दी जाती है, जिनमें दुनिया की कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान निकालने के लिए आंतरिक प्रेणा और प्रतिबद्धता हो. 14 वर्ष की उम्र में प्रेम को राष्ट्रीय संगठन डेक्स्टेरिटी ग्लोबल द्वारा पहचाना गया. तब से उसे डेक्स्टेरिटी ने लगातार प्रशिक्षित किया. डेक्सटेरिटी ग्लोबल एक राष्ट्रीय संगठन है, जो शैक्षणिक अवसरों और प्रशिक्षण के माध्यम से भारत और विश्व के लिए नेतृत्व की अगली पीढ़ी तैयार करने में जुटा है.
स्कॉलरशिप से चार साल की पढ़ाई: ईस्टर्न पेनसिलवेनिया में साल 1826 में स्थापित लाफायेट कॉलेज को लगातार अमेरिका के टॉप 25 कॉलेजों में जगह मिली. इसे अमेरिका के 'हिडन आइवी' कॉलेजों की कैटेगरी में गिना जाता है. पटना के प्रेम लाफायेट कॉलेज में चार साल तक मैकेनिकल इंजीनियरिंग और इंटरनेशनल रिलेशनशिप की पढ़ाई करेंगे. 2.5 करोड़ की स्कॉलरशिप में पढ़ाई के साथ-साथ रहने के पूरे खर्चे भी कवर होंगे.
कॉलेज जाने वाला परिवार का पहला सदस्यः बड़ी बात ये है कि प्रेम कॉलेज जाने वाला अपने परिवार का पहला सदस्य है. अब वो लाफायेट कॉलेज अमेरिका से मैकेनिकल इंजीनियरिंग और अंतर्राष्ट्रीय संबंध की पढ़ाई करेगा. चार वर्षों तक उसकी पढ़ाई और रहने खाने के पूरा खर्च कॉलेज वहन करेगा. अमेरिका के प्रतिष्ठित लाफायेट कॉलेज ने उसे छात्रवृत्ति के रूप में ढाई करोड़ रुपये देने की घोषणा की है. इस घोषणा से पूरा गांव खुश है. प्रेम कुमार के पिता जीतन मांझी मजदूरी करते हैं. मां कलावती देवी का 10 साल पहले निधन हो गया था. प्रेम अपनी पांच बहनों में इकलौता भाई है. उसने 2020 में शोषित समाधान केंद्र उड़ान टोला, दानापुर से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. इसी समाधान केंद्र से 2022 में साइंस (मैथ) से इंटर की परीक्षा पास की.
गरीब बच्चों की मदद करती है डेक्स्टेरिटी संस्थाः दरअसल 14 वर्ष की उम्र में प्रेम को राष्ट्रीय संगठन डेक्स्टेरिटी ग्लोबल ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसे संस्थान में जगह दी. तब से उसे डेक्स्टेरिटी ने लगातार प्रशिक्षित किया. डेक्सटेरिटी ग्लोबल एक राष्ट्रीय संगठन है, जो शैक्षणिक अवसरों और प्रशिक्षण के माध्यम से भारत और विश्व के लिए नेतृत्व की अगली पीढ़ी तैयार करने में जुटा है. पिछले सप्ताह डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक व सीइओ और बिहार के प्रसिद्ध सामाजिक उद्यमी शरद सागर ने घोषणा की कि संगठन के करियर डेवलपमेंट प्रोग्राम 'डेक्सटेरिटी टू कॉलेज' के तहत छात्रों ने अब तक विश्व के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों से 100 करोड़ से भी अधिक की छात्रवृत्ति प्राप्त की है.


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