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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : इंद्रपुरी बराज में करीब दो दशक में पहली बार इतना अधिक जल संकट उत्पन्न हुआ है। बराज में भी जलस्तर घटकर 355 पौंड से नीचे 352 पौंड पर आ गया है। इसका प्रतिकूल असर है कि जिले की आरा मुख्य नहर को भी पानी नहीं मिल रहा है। वहां से कई प्रमुख नहरों में भी पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार रिहंद एवं बाणसागर से भी बराज को बिहार के हिस्से का पानी नहीं मिल रहा है। इस कारण पहली बार बराज में जल संकट पैदा हो गया है। धान का कटोरा कहे जाने वाले शाहाबाद के भोजपुर जिले में 86495 हेक्टेयर में धान की खेती नहर के पानी पर ही निर्भर रहती है।
इससे रोपनी से लेकर सिंचाई का कार्य किया जाता है। नासरीगंज लख से नीचे जिले को केवल 470 क्यूसेक पानी मिल रहा है, जो नहर के तल में ही रह जाता है। किसी भी वितरणी में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। किसान धान की रोपनी के लिए नहर में पानी आने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन पानी नहीं मिल रहा है। लक्ष्य के विरुद्ध अब तक महज तीन फीसदी 2636 हेक्टेयर में ही रोपनी हुई है।
खेतों में जैसे-तैसे रोपे गये धान के बिचड़ों को बचाना भी किसानों के लिए मुश्किल होते जा रहा है। हालांकि मंगलवार की शाम जिले के कुछ इलाकों में बारिश होने से कुछ राहत मिली है। जिले में बोरिंग से जहां-तहां रोपनी की जा रही है, परंतु नहर एवं बारिश के पानी के बिना रोपनी गति नहीं पकड़ रही है। रिहंद से केवल 164 क्यूसेक एवं बाणसागर से बीते शनिवार से 10 हजार क्यूसेक पानी मिल रहा है, जो बहुत ही कम है। नहर में पानी नहीं मिलने से अभी तक जिले में पांच प्रतिशत भी धान की रोपनी नहीं पहुंची है। सोन नहर प्रमंडल आरा की ओर से 2200 क्यूसेक पानी की मांग की गई है। लेकिन, नासरीगंज लख से नीचे सिर्फ 470 क्यूसेक पानी ही जिले को मिल रहा है।