
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : गजवा-ए-हिंद के मायने भारत के खिलाफ जेहादी मंच है। युद्ध के जरिए देश पर कब्जा करना ही गजवा-ए-हिंद से जुड़े लोगों की सोच है और इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक मरगूब अहमद दानिश उर्फ ताहिर और उसके साथ गजवा ए-हिद वाट्सएप ग्रुप में जुड़े लोग देश में हिंसा फैलाने की फिराक में थे। यदि मरगूब की गिरफ्तारी नहीं होती तो आनेवाले दिनों में बड़े आतंकी वारदात हो सकते थे।
चूंकि इनका मिशन ही देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना था, ऐसे में इसकी संभावना बहुत ज्यादा थी। गजवा-ए-हिंद का दूसरा वाट्सएप ग्रुप जिसे मरगूब ने बनाया और संचालित कर रहा था उससे भले ही पाकिस्तानी और बांग्लादेशी भी जुड़े थे पर कई सदस्य भारत के ही हैं। वे लोग कौन हैं और कहां रहते हैं इसकी छानबीन की जा रही है। पाकिस्तानी के आतंकी नेटवर्क से जुड़ना फुलवारी के मरगूब अहमद दानिश उर्फ ताहिर के लिए महज संयोग नहीं था। शुरू से ही वह कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित था। यही वजह थी कि जब उसके हाथ एन्ड्रॉयड फोन लगा तो उसके संपर्क भी देश विरोधी तत्वों के साथ बनते चले गए। पाकिस्तानी नागरिक फैजान और जैन से जुड़ने के बाद वह न सिर्फ गजवा-ए-हिंद की मुहिम में शामिल हुआ बल्कि दूसरों को भी इसके लिए तैयार करने लगा।
