बिहार
बिहार : जीवछ नदी के पानी का अचानक बदला रंग, ग्रामीणों के बीच दहशत का माहौल
Tara Tandi
14 July 2023 7:49 AM GMT
x
बिरौल प्रखंड के पोखराम गांव स्थित जीवछ नदी के कोनी घाट पर अचानक से पानी का रंग बदल गया और पानी में रह रहीं मछलियां तड़प तड़प कर मर रही हैं. इसको लेकर ग्रामीणों के बीच दहशत का माहौल है. नतीजन जानवर से लेकर इंसान पानी के करीब जाने से डर रहे हैं. नदी के किनारे हजारों की संख्या में मरी हुई मछलीयां को देख लोग अचंभित हैं. मछली के मरने से पूरा इलाका में गंध फैल रही है. वहीं स्थानीय लोग चाहते है की प्रशासन देखे की ये पानी गंदा कैसे हुआ और मरी मछलियों को यहां से हटाया जाए.
वही स्थानीय मुन्ना चौधरी ने कहा कि कल देर रात जीवछ नदी का पानी अचानक दूषित हो गया. दूषित होने के कारण नदी का पानी पूरी तरह से काला हो गया है. इसके कारण नदी की सारी मछलियां खुद ब खुद मर रही हैं और चारों तरफ बदबू फैला रही हैं. पानी की हालात ऐसी हो गई है की पानी अब पशु के पीने लायक भी नहीं रह गया है. वहीं उन्होंने कहा कि समझ मे यह नही आ रहा है कि एक रात में यह पानी इतना दूषित कैसे हो गया.
ऐसी मान्यता है की पचास वर्ष पहले इस गांव में एक मस्त बाबा आयें और जीवछ नदी के कोनी घाट के किनारे अपना कुटी बना के रहने लगे. कुटी के पास नदी की मछलियों के प्रति बाबा का प्रेम जगा और उन्होंने नदी के 500 मीटर की धारा क़ो अपने तंत्र-मंत्र के शक्ति से बांध दिया और लोगो के बीच मछलियों के प्रति प्रेम का सन्देश देते हुए कहा कि इस क्षेत्र की मछलियों को ना मारें. जिसके बाद से इस क्षेत्र के लोग प्रतिबंध क्षेत्र के मछलियों को न मारते हैं न खाते हैं. बल्कि मछली के प्रति अपूर्व श्रद्धा रखते हैं.
उसी वक्त से जो भक्त बाबा के मंदिर में दर्शन के लिए आतें हैं. वो नदियों की मछलियों का दर्शन अवश्य करते हैं. इस सिद्ध नदी में रेहु, कतला, भूनना और कई प्रकार की मछली हैं. लोगों का कहना है कि बाढ़ के समय भी मछलियाँ अपने सीमा के अन्दर ही रहती है. वर्षों बाद भी लोगों का मानना है की अगर कोई व्यक्ति नदी के इस सीमा क्षेत्र के अन्दर की मछलियों क़ो खाता है. तो उसे तुरंत सजा मिल जाती है.
Tara Tandi
Next Story