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बिहार में बीजेपी महागठबंधन की सरकार पर लगातार हमलावर है. बीजेपी नीतीश सरकार पर सभी मसले पर विफल रहने का आरोप लगा रही है, लेकिन खासतौर पर लॉ एंड ऑर्डर पर बीजेपी जंगलराज टू का आरोप लगाते थक नहीं रही है. अब ऐसे में सवाल है कि क्या बीजेपी के इस आरोप में वाकई दम है या फिर बीजेपी दो दशक पुरानी राजनीतिक धर्रे पर ही चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है. बिहार की राजनीति में जंगलराज लगातार सुर्खियों में है.
जंगलराज लगातार है सुर्खियों में
ये वही जंगलराज है, जिसके दम पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साल 2005 में बिहार की सत्ता संभाली थी. जिसमें उनकी सहयोगी बीजेपी बनी, लेकिन कालांतर में सहयोगी बीजेपी आज नीतीश की धुर विरोधी हो गई और जिस जंगलराज का नीतीश विरोध कर रहे थे. यानी तब की धुर विरोधी आरजेडी, उसके साथ उनकी सरकार चल रही है. लिहाजा बीजेपी नेता अब एक बार फिर से बिहार में जंगलराज की वापसी का राग अलाप रहे हैं.
जेडीयू प्रवक्ता ने क्या कहा
जेडीयू प्रवक्ता डॉ सुनील कुमार का साफ तौर पर कहना है कि बीजेपी के पास मुद्दे हैं ही नहीं है. विकास की राजनीति वो करती नहीं इसीलिए जंगलराज का राग अलाप रही है. जंगल राज के मसले पर जाने माने राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार का मानना है कि जंगल राज के जिस परसेप्शन को प्रचारित कर बीजेपी बिहार में राजनीति करना चाहती है वो दरअसल इतना आसान भी नहीं है. संजय कुमार का साफ तौर पर कहना है कि भले ही बिहार में अपराध का ग्राफ बढ़ा हो, लेकिन नीतीश कुमार की छवि अपराध से कभी कंप्रोमाइज करने वाली नहीं रही है. लिहाजा जंगल राज की वापसी के आरोपों में उतनी गंभीरता नहीं दिख रही है. साथ ही जिस जंगलराज के दौर की बीजेपी बात करती है. उस दौर के बच्चे अब युवा हो चुके हैं. महत्वपूर्ण वोटर हैं जिन्हें जंगल राज का वो दौर शायद याद भी नहीं है .
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