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बच्चा अब कंट्रोल में
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : दिल की बीमारी से पीड़ित एक गर्भवती महिला का नौ महीने के बदले छह महीने में ऑपरेशन कर बच्चा पैदा किया गया। दुर्भाग्य से मां की जान तो बची नहीं लेकिन जो बच्चा पैदा हुआ उसकी जान भी खतरे में पड़ गई। गर्भ के 25वें सप्ताह में ऑपरेशन से पैदा इस बच्चे का वचन मात्र 600 ग्राम है जिसकी जान बचाने की जंग अब डॉक्टर लड़ रहे हैं। बच्चे को करीब दो हफ्ते से बेगूसराय के एक निजी नर्सिंग होम के नीकू वार्ड में रखा गया है। पहले पांच दिन बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन अब वो ऑक्सीजन सपोर्ट पर है। इलाज कर रहे डॉक्टर अभय कुमार की मानें तो बच्चा अब कंट्रोल में है।
मेडिकल साइंस में ऐसे बच्चे को लॉ बर्थ वेट बच्चा कहते हैं और आम भाषा में लोग कहते हैं प्री-मैच्योर बच्चा। साइंस कहता है कि 37 वीक से कम गर्भ का कोई बच्चा प्री-मैच्योर है क्योंकि मां के बेट में बच्चे को पूरी तरह से विकसित होने के लिए इतना समय चाहिए। 25-30 वीक में बच्चे के बहुत से अंग सही से डेवलप नहीं होते हैं, मसलन आंत जिससे वो दूध पचा सके। ऊपर वाले की कृपा और बेहतर इलाज से इस बच्चे का दूध पाचन अब ठीक होता दिख रहा है।
मेडिकल साइंस में नवजात के वजन के हिसाब से 1 किलोग्राम से कम वजन के बच्चों को एक्स्ट्रीमली लॉ बर्थ वेट बच्चा कहा जाता है जिनकी जान बचाना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है। बेगूसराय के पड़ोसी जिले समस्तीपुर के जगमोहर गांव के किसान परिवार का यह बच्चा पैदा होने के बाद से बच्चों के आईसीयू जिसे नीकू कहते हैं उसमें भर्ती हैं। दुर्भाग्य देखिए कि बच्चे के परिवार वाले डॉक्टर के यहां भर्ती कराने के बाद से लापता हैं और डॉक्टर के बुलाने पर भी दो हफ्ते से नहीं आए हैं।
source-hindustan
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