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बिहार | बिहार में इस बार होली सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि राजनीति का भी त्योहार बन गई है। सत्तारूढ़ दल और विपक्षी पार्टियों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है।
दरअसल, होली के मौके पर राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा एक-दूसरे पर कटाक्ष करने, सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने और आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए जातिगत समीकरण साधने की कोशिशें जारी हैं।
क्या है विवाद?
- सरकारी छुट्टी पर बहस: विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने होली की छुट्टियों में कटौती कर दी है, जिससे आम जनता में नाराजगी है।
- होली मिलन समारोह बने राजनीतिक मंच: विभिन्न पार्टियों के नेता होली मिलन समारोहों में एक-दूसरे पर निशाना साधने और राजनीतिक समीकरण साधने में जुटे हैं।
- विधायकों की बयानबाजी: कुछ नेताओं के भड़काऊ बयानों ने माहौल को और गर्म कर दिया है, जिससे सियासी हलचल और तेज हो गई है।
क्या बोले नेता?
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार: "हमारी सरकार हर त्योहार को सम्मान देती है और जनता की भावनाओं का पूरा ख्याल रखती है। विपक्ष बेवजह विवाद खड़ा कर रहा है।"
- तेजस्वी यादव (आरजेडी): "होली खुशियों का त्योहार है, लेकिन सरकार जनता को परेशान करने पर तुली हुई है। महंगाई और बेरोजगारी की होली जल रही है।"
- बीजेपी नेता सुशील मोदी: "महागठबंधन सरकार सिर्फ तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है और त्योहारों में भेदभाव कर रही है।"
होली पर राजनीति क्यों?
बिहार में होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए अपनी पकड़ मजबूत करने का जरिया भी बन गया है। हर साल की तरह इस बार भी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
देखना होगा कि ये सियासी होली बिहार की जनता को कितना रास आती है और इसका चुनावी समीकरण पर क्या असर पड़ता है।
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Uma Verma
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