x
बिहार: जहानाबाद जिले में बराबर की पहाड़ियों में प्रसंस्कृत सहजन पाउडर रोजगार और स्वास्थ्य दोनों क्षेत्र में लोगों को लाभ दे रहा है। वन विभाग द्वारा 25 एकड़ में सहजन यानी मुनगा के करीब दो लाख पेड़ लगाए गए हैं। वहीं इसकी प्रोसेसिंग के लिए आईसीआईसीआई फाउंडेशन के सहयोग से दो एकड़ में मोरिंग प्रोसेसिंग यूनिट लगायी गयी है। जहां पाउडर तैयार कर जिले के अलावा बाहर भी भेजा जा रहा है। यह इकाई दो वर्ष पहले लगायी गयी थी, लेकिन अब बराबर वन क्षेत्र के 16 गांवों के करीब 300 घरों के लोगों के लिए जीविकोपार्जन का साधन बना हुआ है।
पाउडर बनाने के लिए वन विभाग द्वारा आसपास के कई गावों से 40 रुपये प्रति किलो मोरिंगा की पतियों की खरीद की जाती है। इससे लोगों को अच्छी आय हो जाती है। एक वर्ष में तीन बार मुनगा की पत्तियां तोड़ी जाती है। पत्तियों व फली को प्रोसेसिंग कर पाउडर तैयार किया जाता है। यह प्रोडक्ट वन विभाग बराबर की नर्सरी में 100 ग्राम, दो सौ ग्राम, आधा किलो और एक किलो के पैकेट में उपलब्ध है।
सहजन की पत्तियो में भरपूर एंटी ऑक्सिडेंट
विशेषज्ञों के अनुसार मोरिंग के पेड़ की पत्तियों में विटामिन डी और ए, आवश्यक अमीनो एसिड, पोटेशियम, फास्फोरस, आयरन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व होते हैं। पत्तियों में कैरोटीन, विटामिन सी और फ्लेवोनोइड जैसे एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञों की माने तो औषधीय गुणों से मोरिंगा पाउडर भरपूर है। मोरिंगा डायबीटीज, ब्लड प्रेसर, जॉइंट पेन, खून की कमी जैसी बीमारियों को दूर करने में रामबाण है।मोरिंगा अथवा सहजन जिसे आम बोलचाल की भाषा में 'मुनगा' भी कहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पाउडर के 15 दिनों से एक महीना लगातार सेवन से कई बीमारियों से निजात या उसमें भारी कमी आ जाती है।
वन विभाग की परियोजना से बदली वनवासियों की जिंदगी
भैख वन समिति के अध्यक्ष सुधीर शर्मा ने बताया कि बराबर वन परिक्षेत्र सूखाग्रस्त क्षेत्र माना जाता है। लेकिन मोरिंगा प्रोसेसिंग यूनिट लगने से यह क्षेत्र लोगों को रोजगार का साधन बनता जा रहा है। वन विभाग द्वारा बराबर नर्सरी में 25 एकड़ भूमि पर मुनगा के पौधे लगाए गए हैं। साथ ही आसपास की तीन पंचायतों भैख, साकिर विगहा और जमनगंज के गांवों से 40 रुपये प्रति किलो की दर से मुनगा की पत्तियों को वन विभाग खरीदता है। ताकि ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को मुनगा की पत्तियों से बना पाउडर उपलब्ध कराया जा सके।
उन्होंने बताया कि इस प्रोडक्ट की इतनी मांग हो गई है कि दो लाख मुनगा के पेड़ भी मांग को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इसके लिए आसपास के गांव के लोगों को भी सहजन के पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, ताकि घर बैठे लोगों को रोजगार मिल सके। भैख गांव की चिंता देवी ने बताया कि मुनगा की पत्तियां वन विभाग को बेचकर ठीक-ठाक रकम जुटा लेतीं हैं। इससे घर का गुजारा अच्छे से हो जाता है। गांव के कई ग्रामीण मुनगा का बागीचा लगा रहे हैं, ताकि फल के साथ इसकी पत्तियों से भी आर्थिक लाभ मिल सके। इस इकाई में कार्य कर रहीं चिंता देवी, सुनीता देवी, मुंगीया देवी, मीना देवी सहित सैकड़ों महिलाओं के लिए जीविकोपार्जन का साधन बना हुआ है।
Manish Sahu
Next Story