बिहार

बिहार : बैकफुट पर आए केके पाठक, अब शिक्षकों को लेकर फिर से निकाला नया आदेश

Tara Tandi
2 Aug 2023 7:23 AM GMT
बिहार : बैकफुट पर आए केके पाठक, अब शिक्षकों को लेकर फिर से निकाला नया आदेश
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जातीय गणना के कार्य में शिक्षकों की ड्यूटी को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक बैकफुट पर आ गए हैं. केके पाठक ने पहले एक फरमान जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि शिक्षकों से शिक्षा देने के अलावा और कोई काम नहीं कराना है. शिक्षकों से अन्य कोई प्रशासनिक कार्य नहीं लिया जाए. अब केके पाठक ने एक नया आदेश जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि डीएम शिक्षकों को केवल जातीय गणना में लगाएं. इसके अन्य कोई प्रशासनिक कार्य नहीं लिया जाए. सभी जिलाधिकारियों को ये आदेश जारी किया गया है. आदेश में यह भी कहा गया है कि शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करते समय ध्यान रखें कि विद्यालय पूरी तरह से शिक्षक विहीन ना हो जाए.
केके पाठक के कहने से कुछ नहीं होता: RJD
केके पाठक के जातीय गणना के कार्य में शिक्षकों को ड्यूटी पर नहीं लगाने वाले फरमान के बाद बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई थी. RJD विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा था कि केके पाठक के कहने से कुछ नहीं होगा सरकार को निर्णय लेना है. सरकार के पाले में गेंद है और सरकार के निर्णय को हर पदाधिकारियों को मानना ही होगा. तय तो सरकार को करना है कि कौन जातीय गणना कराएगी. केके पाठक के कहने से कुछ नहीं होता.
केके पाठक का निर्णयस राहनीय: BJP
वहीं, BJP विधायक पवन जायसवाल ने कहा था कि यह निर्णय जो है जातीय गणना का वो BJP और JDU ने मिलके लिया था और केके पाठक ने जो आदेश जारी किया है वो सही है. शिक्षक अगर जनगणना करेंगे तो विद्यालय में कौन पढ़ाएगा? केके पाठक का जो निर्णय है वह सराहनीय है और केके पाठक का निर्णय अगर पूरा हुआ तभी हम समझेंगे कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती है.
केके पाठक को जो बोलना है वो बोले: JDU
वहीं, JDU विधायक पंकज मिश्रा ने कहा था कि केके पाठक को जो बोलना है वह बोले. सरकार के पास व्यवस्था है और कुछ भी हो जाए जातीय गणना होकर ही रहेगी.
केके पाठक का फरमान सही: Congress
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता आशित नाथ तिवारी ने कहा था कि केके पाठक का जो फरमान है वो सही है. शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य नहीं करना चाहिए, लेकिन जातीय गणना का 80 फीसदी कार्य शिक्षकों ने किया है और ऐसे में दूसरे लोगों को लगाया जाएगा तो मेहनत और पैसा दोनों व्यर्थ होंगे. इसलिए इस बार यह कार्य शिक्षकों को करना चाहिए. अगले बार से उन्हें घैर शैक्षणिक कार्यों में नहीं लगाया जाए.
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