बिहार
बिहार : सड़क है या तालाब? जान हथेली पर रख आवाजाही कर रहे लोग
Tara Tandi
11 Sep 2023 12:19 PM GMT
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कटिहार की सड़कों की हालत इतनी बदतर हो गई है कि आवाजाही करना लोगों के लिए जंग लड़ने जैसा हो गया है. ये हालत किसी एक सड़क या एक गांव की नहीं है, बल्कि कई प्रखडों में हालात यही हैं. यहां पर सड़कें हैं या तालाब. देखकर हम भी असमंजस में है. समझ नहीं आ रहा इसे क्या कहें. पानी से लबालब भरी सड़कें, जहां पानी नहीं है. वहां कीचड़ का अंबार. मानों सड़क दलदल में तब्दील हो गई हो, दो पहिया वाहन हो, चार पहिया वाहन हो या पैदल यात्री. आवाजाही करनी है, तो गढ्डों से पटी, कीचड़ और पानी में सराबोर सड़क से गुजरना होगा. गढ्ढे डराते हैं. हिचकौले खाती गाड़ियां कब हादसे का शिकार हो जाए. ये भी कुछ कह नहीं सकते, लेकिन क्या कोई चारा है, नहीं. तभी तो ना सिर्फ आम जनता बल्कि खुद अधिकारियों की गाड़ियां भी इसी तालाबनुमा सड़क से होकर गुजरती है.
सड़कें बदहाल, आवाजाही मुहाल
बता दें कि यह हाल कटिहार के बरसोई प्रखंड की है, जहां प्रखंड को मुख्यालय को जोड़ने वाली मुख्य सड़कों की हालत बद से बदतर है. बारसोई प्रखंड मुख्यालय से पश्चिम बंगाल के बिलासपुर रायगंज को जोड़ने वाली ये मुख्य सड़क है. जहां सड़क कम और गड्ढे ज्यादा नजर आते हैं. हालांकि सिर्फ इसी सड़की की हालत ऐसी नहीं है, बल्कि जिले के ज्यादातर सड़कों की हालत यही है. जहां हल्की बारिश के बाद सड़कें नदी और तालाब बन जाती है.
इन सड़कों पर चलना या यहां गाड़ियां चलाना हादसे को दावत देने जैसा है और हर दिन सैकड़ों लोग यहां से जान हथेली पर रखकर आवाजाही करते हैं.
सड़क मरम्मत के नाम पर हुई धांधली
प्रखंड मुख्यालय से 100 मीटर की दूरी पर नगर पंचायत की स्थिति और भी बदतर है. यहां लोग हजारों की तादाद में अपने काम से बारसोई प्रखंड कार्यालय आते हैं, लेकिन सड़क को दुरुस्त करने को लेकर आजतक कोई पहल ना तो किसी जनप्रतिनिधि ने की है और ना ही किसी अधिकारी ने. 5 सालों से यहां सड़कें यूं ही बदहाल है और लोगों की आवाजाही मुहाल है. वहीं, सड़क की बदहाली को लेकर प्रखंड प्रमुख प्रतिनिधि का कहना है कि सड़क की बदहाली को लेकर कई बार अधिकारियों को जानकारी दी गई, लेकिन मरम्मत के नाम पर सिर्फ सरकारी पैसों का बंदरबांट ही हुआ.
बदहाल सड़क से ग्रामीण परेशान
पैसे खर्च होने के बाद भी सड़क आज भी जस के तस है. 5 साल से बदहाल सड़क लोगों के लिए जी का जंजाल बन गई है और लोगों की समस्या की सुध लेने वाला कोई नहीं है. अगर सड़क मरम्मती की पहल भी होती है तो वो भी बिचौलियों की जेबें गर्म करने का जरिया बनकर रह जाती है. सवाल उठता है कि अगर लोगों को सड़क जैसी मूलभूत सुविधा के लिए भी मशक्कत करनी पड़ेगी तो प्रदेश का विकास कैसे होगा
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