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पटना (आईएएनएस)। बिहार सरकार ने सोमवार को महात्मा गांधी की जयंती के दिन बहुप्रतीक्षित जाति-आधारित सर्वेक्षण जारी कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार बिहार की आबादी 13 करोड़ से अधिक है, जिसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) 36.01 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियां 1.68 प्रतिशत हैं।
ऊंची जातियों की 15.52 प्रतिशत जनसंख्या है। पिछड़े वर्गों में यादवों की आबादी 14.26 प्रतिशत, कुशवाह और कुर्मी क्रमशः 4.27 और 2.87 प्रतिशत हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, बिहार की आबादी में हिंदू समुदाय 81.9 प्रतिशत, मुस्लिम 17.7 प्रतिशत, ईसाई 0.05 प्रतिशत, सिख 0.01 प्रतिशत, बौद्ध 0.08 प्रतिशत, जैन 0.0096 प्रतिशत और अन्य धर्मों के 0.12 प्रतिशत हैं।
जहां तक प्रमुख जातियों का सवाल है, ऊंची जातियां 15.52 प्रतिशत हैं, जिनमें भूमिहार 2.86 प्रतिशत, ब्राह्मण 3.66 प्रतिशत, राजपूत 3.45 प्रतिशत और कायस्थ 0.60 प्रतिशत शामिल हैं।
इसके अलावा, कुर्मी 2.87 प्रतिशत, मुसहर 3 प्रतिशत, यादव 14.26 प्रतिशत, कुशवाहा 4.27 प्रतिशत, कुर्मी 2.87 प्रतिशत, चंद्रवंशी 1.64 प्रतिशत, धानुक 2.13 प्रतिशत, धोबी 0.83 प्रतिशत, नाई 1.59 प्रतिशत हैं।
नोनिया 1.91 प्रतिशत, कुम्हार 1.40 प्रतिशत, पासी (पासवान) 0.98 प्रतिशत, बढ़ई 1.45 प्रतिशत, लोहार 0.15 प्रतिशत, सोनार 0.68 प्रतिशत, हलवाई 0.60 प्रतिशत, अघोरी 0.069 प्रतिशत, अद्राखी 0.02 प्रतिशत, अब्दाल 0.0087 प्रतिशत, अमात 0.21 प्रतिशत, असुर, 0.059 प्रतिशत, अवध बनिया 0.03 प्रतिशत और मुस्लिम दर्जी 0.25 प्रतिशत हैं।
खास बात यह है कि जाति आधारित सर्वेक्षण पिछले साल बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों में पारित किया गया था और सभी राजनीतिक दलों ने इस पर सहमति दी थी।
हालांकि, कुछ समूहों और व्यक्तियों ने इसके खिलाफ पटना उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। लेकिन, शीर्ष अदालत से रास्ता साफ होने के बाद सर्वेक्षण पूरा हो गया है।
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