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पटना (आईएएनएस)। राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने दावा किया कि बिहार सरकार द्वारा सोमवार को जारी की गई जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट 'फर्जी' है और ऐसा लगता है कि इसे जल्दबाजी में प्रकाशित किया गया है।
उन्होंने कहा, "सर्वेक्षण के दौरान किसी ने मुझसे मेरी जाति नहीं पूछी। यह एक व्यक्तिगत बात हो सकती है, लेकिन यह दूसरों के साथ भी हो सकता है। जाति जनगणना के संबंध में एक मामला अदालत में चल रहा था, लेकिन राज्य सरकार ने सूचित किया कि सर्वेक्षण पूरा हो गया है। राज्य सरकार ने यह सोचकर कि मामला फिर से अदालत में जा सकता है, जल्दबाजी में रिपोर्ट प्रकाशित की है।"
कुशवाहा ने कहा, "चूंकि रिपोर्ट जल्दबाजी में प्रकाशित की गई, इसलिए संभावना है कि मेरे जैसे कई लोगों का नाम रिपोर्ट में नहीं है। मैं नीतीश कुमार सरकार से कहना चाहता हूं कि रिपोर्ट को मतदाता सूची की तरह सार्वजनिक डोमेन में प्रकाशित किया जाए, ताकि हर व्यक्ति रिपोर्ट में अपना नाम देख सके। इस रिपोर्ट में संशोधन किया जाना चाहिए और फिर से जारी किया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "बिहार सरकार ने जातियों की रिपोर्ट प्रकाशित कर दी है, लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण नहीं कराया है। उन्होंने राजनीतिक लाभ लेने के लिए जल्दबाजी में रिपोर्ट जारी की है, लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण प्रकाशित नहीं करना एक राजनीतिक साजिश है। इस सरकार की मंशा ठीक नहीं लगती।"
इस बीच, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा जारी जाति सर्वेक्षण से समाज के वंचित वर्ग के लोगों को फायदा होगा। उन्होंने कहा, "समाज में जो लोग पिछड़े और वंचित हैं, खासकर ईबीसी, ओबीसी, दलित, महादलित, उन्हें अपनी संख्या पता चल जाएगी। इससे राज्य सरकार को जातियों की संख्या के हिसाब से नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।"
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