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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : खरीद-बिक्री की रोक सूची से जमीन को हटाने के नाम पर बड़ा खेल हो रहा है। खेसरा नंबर को लॉक कर उसे फिर खोलने के नाम पर काली कमाई की जा रही है। बिचौलियों ने रजिस्ट्री कार्यालय से लेकर एडीएम कार्यालय तक अपना जाल फैला रखा है। उस जाल में फंसे जरूरतमंद रैयत खेसरा अनलॉक कराने को दर-दर की ठोकर खा रहे हैं और बिचौलियों के आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने भी माना है कि इस रोक प्रक्रिया में उगाही का खेल चल रहा है।
जिलों में खासमहाल, गैरमजरुआ आम, गैरमजरुआ खास, इकोनॉमिक ऑफेंस व कोर्ट के आदेश पर किसी जमीन के खेसरा को खरीद-बिक्री से प्रतिबंधित करने के लिए रोक सूची बनायी जाती है। मुजफ्फरपुर जिले में रोक सूची के लिए एडीएम के स्तर पर गठित कमेटी निर्णय लेती है। करीब 70 हजार खेसरा जिले में रोक सूची में शामिल हैं, जिनकी खरीद बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है। हजारों ऐसे रैयत हैं जिनकी जमीन रोक सूची में इसलिए शामिल हो गई है कि प्रशासन ने रोक सूची के लिए उचित कदम नहीं उठाये हैं। यथा, रोक सूची में एक खेसरा को तो शामिल कर लिया गया है, लेकिन रैयत का नाम नहीं दिया गया है। जबकि एक ही खेसरा में कई रैयत हैं और एक व्यक्ति के कारण सभी की जमीन खरीद बिक्री पर रोक लगा दी गई है। इतना ही नहीं, रोक सूची में शामिल कई जमीन का खाता नम्बर, वार्ड व थाना नम्बर दर्ज नहीं किया गया है, जिसके कारण एक खेसरा लॉक करते ही सभी खातों का वह खेसरा नम्बर लॉक हो गया है। इसके बाद स्थानीय लोग रोक सूची से जमीन हटवाने के लिए रजिस्ट्री कार्यालय से लेकर अपर समाहर्ता कार्यालय तक के चक्कर लगा रहे हैं।
source-hindustan
Admin2
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