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बिहार : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (NDA) सरकार के खिलाफ देशभर के विपक्षी दलों के सूत्रधार नीतीश कुमार ने पटना में 23 जून की बैठक से पहले अपनी पार्टी जनता दल यूनाईटेड (JDU) से एक मंत्री रत्नेश सदा को शपथ दिलाई थी। यह एक तरह की मजबूरी थी, क्योंकि हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा (HAM) सेक्युलर के इकलौते मंत्री संतोष कुमार सुमन उर्फ संतोष मांझी ने अचानक मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। कांग्रेस ने जब उस शपथ ग्रहण के समय अपने और राजद कोटे के मंत्रियों को भी शपथ दिलाने की मांग उठाई थी तो 23 जून के बाद का भरोसा दिलाया गया था। उस भरोसे को महीना गुजरने वाला है। कोई पक्की तारीख घोषित नहीं हो रही। अब एक पक्की सूचना सामने आ रही कि इस बार सिर्फ मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होगा, बल्कि विभाग भी बदले जाएंगे।
सबकुछ सामान्य नहीं, इसलिए यह नौबत
बिहार की महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री और राजद-जदयू के मंत्री एक मंच पर आकर कहें, तभी माना जा सकता है कि सरकार में सबकुछ सामान्य है। वरना, बातें निकलकर दूर तक जा रही हैं। बुधवार को उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत राजद के मंत्रियों का राजगीर के मलमास मेला नहीं जाना भी चर्चा में है और सुखाड़ पर शुक्रवार को हुई बैठक में ऐसी गैरहाजिरी भी। इसके अलावा, रामचरितमानस पर विवादित बयान से सुर्खियों में रहे राज्य के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर की शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक से झंझट के बाद विभाग से दूरी भी किसी से छिपी नहीं है। उस झंझट के बाद जदयू-राजद के नेता आमने-सामने आने लगे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को भी विवाद में मध्यस्थता करनी पड़ी। उस मध्यस्थता के बाद मुंह से भले कुछ नहीं हो रहा, लेकिन दूरियों के जरिए संदेश पहुंचाने की कोशिश साफ दिख रही है।
कांग्रेस-राजद, दोनों से सवर्ण मंत्री पक्के
बिहार में कांग्रेस अपनी 19 सीटों के हिसाब से दो और मंत्री पद मांग रही है। राजद के दो मंत्रियों के पद पहले से खाली हैं। कुल पांच मंत्रियों के शपथ ग्रहण की चर्चा है। इस चर्चा में कांग्रेस और राजद से एक-एक सवर्ण जाति के मंत्री का नाम पक्का है। कुछ गलत न हो जाए, इस नाम पर पार्टी के नेता नाम सामने नहीं ला रहे हैं। केके पाठक विवाद के बाद बताया जा रहा है कि दो अन्य मंत्रियों ने भी अपने विभाग के कुछ अफसरों की अफसरशाही पर एतराज जताया है। पिछले दिनों ही अफसरों का विभाग बदला है, इसलिए तुरंत बदलाव से सरकार की छवि पर असर पड़ सकता है। ऐसे में बीच का रास्ता निकालते हुए कुछ मंत्रियों के विभागों में उलटफेर होना तय है।
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