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जनता से रिश्ता : पहले ट्रेनों में बायो टॉयलेट नहीं होने से पूर्व मध्य रेलवे की 5402 किमी रेललाइन पर रोजाना करीब डेढ़ लाख लीटर गंदगी फैलती थी। इससे ट्रैक मेटेनेंस व सफाई पर सालाना 17 करोड़ 12 लाख रुपये खर्च होते थे। बीते पांच जून को हुए अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पर रेलवे की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत सभी ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगाए गए हैं। इससे अब कोचों से गंदगी पटरियों पर नहीं गिरती है। स्वच्छता में उल्लेखनीय सुधार होने के साथ पटरियों व इसकी फिटिंग का क्षरण भी रोका जा सका है। इससे भारतीय रेलवे को 410 करोड़ की बचत प्रतिवर्ष हो रही है। बायो टॉयलेट लगने से पहले जंक्शन, स्टेशनों के अलावा आउटर की पटरी गंदगी से पटी रहती थी।
इसके सफाई में पानी के साथ सफाई कर्मी के पारिश्रमिक पर भारी भरकम रकम खर्च करना पड़ता था।
सोर्स-hindustan
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