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सुपौल में कोसी उफान पर है और पलायन का दौर शुरू हो चुका है. हर बार की तरह इस बार भी नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही कटाव तेजी से हो रहा है. अभी तक 100 से ज्यादा घर जलसमाधि ले चुके हैं और ये सिलसिला बदस्तूर जारी है. आसमान से आफत बरस रही है. बारिश से हाहाकार मचा है और कोसी नदी उफान पर है. कोसी ने एक के बाद एक आशियानों को निगलना शुरू कर दिया है. हर साल की तरह इस बार भी कोसी हाहाकार मचाने को तैयार है और इस सब के बीच लोग पलायन कर रहे हैं. इन बेबस लोगों की फिक्र ना तो शासन को है और ना ही प्रशासन को. साल बदल गए, लेकिन इन बेबसों की तकदीर नहीं बदली. इनके लिए मानसून हर साल अभिशाप बनकर आता है जो अपने साथ इनके आशियाने, रोजगार और साल भर की कमाई को बहा ले जाता है.
पलायन बनी ग्रामीणों की तकदीर
सुपौल में कोसी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. जिले के सदर प्रखंड में नरहैया गांव के वार्ड 11 में कोसी कहर बरपा रही है. यहां अभी तक 100 से ज्यादा घर जलसमाधि ले चुके हैं और सिलसिला जारी है. इलाके में हो रहे कटाव के चलते लोग अपना घर बार छोड़ पलायन करने को मजबूर हैं. कटाव पीड़ित अपने आशियाने को छोड़ बेबसी में जीने को मजबूर हैं. बाढ़ से मचे हाहाकार के बीच नए ठिकाने की तलाश में जद्दोजहद कर रहे हैं. कटाव पीड़ित जिला प्रशासन से राहत और मुआवजे की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उनके लिए मदद नहीं पहुंच पाई है. शासन-प्रशासन ने कटाव पीड़ितों को अपनी हालत पर छोड़ दिया है.
शासन-प्रशासन की अनदेखी का दंश
बिहार में हर साल मानसून के महीने में बाढ़ की हाहाकारी तस्वीरें देखने को मिलती हैं. सुपौल में कोसी का कहर हर साल बरपता है. कटाव होता है. लोग पलायन करते हैं और अंत में उन्हें कुछ मुआवजा दे दिया जाता है, लेकिन सवाल ये कि हर बार इस तरह की तस्वीर क्यों दिखती है? सरकार करोड़ों रुपए कटाव रोधी कार्यों में लगाती है तो धरालत पर इसका कोई परिणाम क्यों नहीं दिखता? क्यों हर बार लोग पलायन का दंश झेलते हैं?
Tara Tandi
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