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बिहार और झारखंड एक बार फिर से होंगे आमने-सामने, 10 अप्रैल को पेंशन समेत कई मुद्दों पर होगी चर्चा, जानें क्या है पूरा मामला

Renuka Sahu
4 April 2022 2:32 AM GMT
बिहार और झारखंड एक बार फिर से होंगे आमने-सामने, 10 अप्रैल को पेंशन समेत कई मुद्दों पर होगी चर्चा, जानें क्या है पूरा मामला
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फाइल फोटो 

झारखंड सरकार के पास पेंशन के बकाये चार हजार करोड़ रुपये को लेकर बिहार से तकरार का प्लॉट एकबार फिर तैयार हो गया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड सरकार के पास पेंशन के बकाये चार हजार करोड़ रुपये को लेकर बिहार से तकरार का प्लॉट एकबार फिर तैयार हो गया है। आगामी 10 अप्रैल को होने जा रही पूर्वी क्षेत्रीय अंतर्राज्यीय परिषद की बैठक में यह मामला बिहार की ओर से उठाया जाएगा। बिहार सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी दे दी है। झारखंड की ओर से इसे देने से लगातार आनाकानी की जा रही है।

पूर्वी क्षेत्रीय अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में बिहार-झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के शीर्ष प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। साल 2000 में अलग झारखंड के निर्माण के लिए बिहार पुनर्गठन अधिनियम संसद में पारित किया गया था। इसके तहत कर्मचारियों के पेंशन दायित्व का बंटवारा बिहार और झारखंड के बीच 2:1 अनुपात में करना था। यानी पेंशन पर होने वाले कुल खर्च का दो तिहाई बिहार सरकार को और एक तिहाई झारखंड सरकार को वहन करना था।
इसे दोनों राज्यों के उस समय के क्षेत्रफल के आधार पर तय किया गया था। यह व्यवस्था 2020-21 तक के लिए बनाई गई थी। कुछ साल पहले झारखंड ने यह कहना शुरू किया कि वह पेंशन दायित्व का बंटवारा क्षेत्रफल के अनुपात की जगह आबादी के अनुपात में करेगा। झारखंड ने इसके लिए 3:1 का फॉर्मूला अपनाने की मांग की। इस आधार पर पिछले तीन सालों से पेंशन की कोई रकम नहीं दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देने की बात कर रहा है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कोई रोक नहीं लगाई है। पिछले दिनों केंद्र सरकार की ओर से भी झारखंड को बिहार को पेंशन की तय हिस्सेदारी अदा करने के लिए कहा गया।
बिहार और झारखंड के बीच कंपनियों के बंटवारे पर विवाद
राज्य बंटवारे से पहले के कई ऐसे सार्वजनिक उपक्रम थे, जो झारखंड के इलाके में आते हैं। ये सारी कंपनियां बंद हो चुकी हैं। इन पर करोड़ों की देनदारी है। झारखंड सरकार चाहती है कि कंपनियों की जमीन उनके हवाले कर दी जाएं और देनदारी का भुगतान बिहार सरकार करे। बिहार ने इस पर आपत्ति की है। बिहार सरकार इन कंपनियों की जमीन नीलाम कर देनदारी खत्म करना चाहती है। इसका मुद्दा भी पूर्वी क्षेत्रीय अंतर्राज्यीय परिषद की बैठक में उठाया जाएगा। इसके अलावा कोयल सिंचाई परियोजना समेत बटाने नगर विवाद भी दोनों राज्य उठाएंगे।
केंद्र सरकार के भी हैं मुद्दे
भारत सरकार सीआरपीएफ का बटालियन हेडक्वार्टर बिहार में बनाना चाहती है। इसे लेकर भी कुछ मसले हैं। बख्तियारपुर में एक रेलवे ओवरब्रिज को लेकर भी 10 अप्रैल की बैठक में बातचीत होनी है। राज्य सरकार के अधिकारियों को इसकी तैयारी करने के लिए कहा गया है।
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