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मानसून की बेरुखी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : मानसून की दगाबाजी से खरीफ फसल की खेती चौपट हो रही है। ना तो नहर में पानी है और ना ही बारिश हो रही है। संभावित सूखे की आशंका से किसान चिंतित हैं। हालात यह है कि रोपनी तो दूर किसानों को बिचड़ा बचाना भी मुश्किल हो गया है। कृषि विभाग की मानें तो जुलाई माह के 11 तारीख तक 91.68 प्रतिशत कम बारिश हुई है। नतीजा खेतों में धान का बिचड़ा पीला पड़ने लगा है। बिचड़ा अधिक दिन के होने पर आने वाले परेशानी को लेकर किसान परेशान हैं। बिचड़ा बचाने के लिए किसानों को बेहिसाब पैसा खर्च करना पड़ा रहा है। इसी तरह की स्थिति बनी रही तो इस बार की खेती किसानों को महंगी साबित होगी।
जिले में महज तीन प्रतिशत हो सकी है रोपनी
जिले में धान आच्छादन लक्ष्य के विरुद्ध अब तक महज 3.28 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो सकी है। वजह है कि ना तो नहर में पानी है और ना ही बारिश हो रही है। जिला कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 97701.6 हेक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य है। इसके विरुद्ध महज 3206.24 हेक्टयेर में ही धान की रोपनी हो सकी है। जिले के ग्यारह प्रखंडों के किसान आज भी धान की रोपनी के लिए आकाश की ओर से टकटकी लगाए हुए हैं।
source-hindustan

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