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जनता से रिश्ता : बिहार में निजी स्कूलों की मनमर्जी के कारण बच्चों के बस्ते का बोझ कम नहीं हो रहा है। एनसीईआरटी ने सुझाव दिया था कि कक्षा एक और दो में तीन विषय की ही पढ़ाई एक दिन में हो। तीसरी से पांचवीं तक चार विषय की और छठी से दसवीं तक एक दिन में छह विषय से अधिक कक्षाएं न चलें। वहीं, एलकेजी और यूकेजी के बच्चे बिना किताब के स्कूल आएं, लेकिन इस सुझाव को सूबे के 90 निजी स्कूल नहीं मानते हैं।
ज्यादातर स्कूल ऐसा रूटीन बनाते हैं, जिससे छात्रों को हर दिन हर विषय की किताबें लानी होती है। इसके अलावा एक या दो नोट बुक लाने का सुझाव भी कोई स्कूल नहीं मानता है। यहां तक कि एलकेजी व यूकेजी के बच्चों को भी 4 से 5 किताबें लानी पड़ती है। इससे बस्ते का वजन पांच किलो से ज्यादा हो जाता है।
पीने के पानी की व्यवस्था नहीं
यू-डायस रिपोर्ट के अनुसार बिहार के 50 फीसदी ऐसे निजी स्कूल हैं, जहां बच्चों के लिए शुद्ध पानी की व्यवस्था नहीं है। बच्चों को घर पीने का पानी लाना पड़ता है। इसका बोझ भी बस्ते पर बढ़ जाता है।
सोर्स-hindustan
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