बिहार

औद्योगिक संस्थानों की उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं बेगूसराय के बेरोजगार : अमरेन्द्र अमर

Shantanu Roy
12 Nov 2022 6:24 PM GMT
औद्योगिक संस्थानों की उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं बेगूसराय के बेरोजगार : अमरेन्द्र अमर
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बेगूसराय। बिहार की औद्योगिक राजधानी बेगूसराय में सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े-बड़े केंद्रीय औद्योगिक समूह रहने के बावजूद स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं देकर बाहरी को काम देने का मामला तुल पकड़ता जा रहा है। केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह के प्रतिनिधि भाजपा नेता-सह-अधिवक्ता अमरेन्द्र कुमार अमर ने पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी, जिलाधिकारी एवं बरौनी रिफाइनरी के कार्यपालक निदेशक को पत्र लिखकर बेगूसराय के क्षेत्रीय लोगों की लगातार हो रही उपेक्षा से अवगत कराते हुए लोगों में व्याप्त असंतोष की तरफ ध्यान आकर्षित कराया है। अमरेन्द्र कुमार अमर ने बताया की इंडियन ऑयल के बरौनी रिफाइनरी में चल रहे विस्तारीकरण परियोजना में कंपनियों द्वारा लगातार स्थानीय लोगों की उपेक्षा के कारण अब लोगों में असंतोष उभरने लगा है। पिछले दो वर्षों से बरौनी रिफाइनरी में विस्तारीकरण एवं पुनरूद्धार का काम चल रहा है। लेकिन स्थानीय लोगों को ठेका मजदूर, तकनीशियन तथा अन्य संवर्गों में कोई तरजीह नहीं दी जाती है। यह आश्चर्यजनक है कि इस संबंध में बरौनी रिफाइनरी, हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) बरौनी, राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) बरौनी की कंपनियों ने कभी नियोजन शिविर का आयोजन नहीं किया। काम करने वाली कंपनी के इस मनमानी के विरुद्ध लोगों ने अनेक बार जनप्रतिनिधियों तथा प्रशासनिक स्तर पर शिकायत किया, लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। समय-समय पर कुछ ट्रेड यूनियन के नेताओं ने इस मुद्दे को उठाया, लेकिन उनके नेताओं को संतुष्ट कर कंपनियों ने जिले के व्यापक हितों की हमेशा अनदेखी की है। अब यह मुद्दा भारी असंतोष का रूप लेने लगा है। उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि अब तक किसी कंपनी ने पारदर्शी नियोजन के लिए ना तो शिविर आयोजित किया और न ही जिलाधिकारी तथा नियोजनालय को सूचित किया।
हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) में निर्माण कार्य पूरा हो चुका है तथा रिफाइनरी तथा एनटीपीसी में विस्तारीकरण कार्य चल रहा है और स्थानीय लोग इन कंपनियों के उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। यह कंपनियां बाहर से लोगों को लाकर स्थानीय पता अंकित कर बेगूसराय के लोगों को लगातार उपेक्षित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही सभी संगठनों से बात कर स्थानीय लोगों की लगातार उपेक्षा के मुद्दे पर हल्ला बोल कार्यक्रम चलाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक सभी कंपनियों को 60 प्रतिशत से अधिक स्थानीय बेरोजगारों को काम देने का नियम है। लेकिन बेगूसराय में यह तीनों बड़े औद्योगिक संस्थानें स्थानीय लोगों की लगातार उपेक्षा कर रही है तथा 80 प्रतिशत से भी अधिक दूसरे विभिन्न राज्यों के लोगों को काम पर रखा गया है। एनटीपीसी, हर्ल एवं रिफाइनरी में काम करने वाले श्रमिकों की मानें तो कार्यकारी कंपनियों ने देश के विभिन्न राज्यों से लोगों को लाया है तथा उसका फर्जी आधार कार्ड बनवाकर गेट पास बना दिया गया है। इसके बदले में मासिक पारिश्रमिक श्रमिक का 20 प्रतिशत तक कमीशन लिया जाता है। बाहरी रहने के कारण श्रमिक उनका विरोध नहीं कर पाते हैं, लेकिन काम करने वाले स्थानीय लोग जब प्रत्येक महीना कमीशन का विरोध करते हैं तो उन्हें निकाल दिया जाता है और उसके बदले फिर स्थानीय लोगों को नहीं रखकर दूसरे प्रदेश के लोगों को ही रखा जाता है। सूत्र बताते हैं की इस तीनों सार्वजनिक उपक्रम के विस्तारीकरण एवं निर्माण में काम करने वाले सभी ठेका श्रमिकों का हाई लेवल पर सत्यापन किया जाए तो ना केवल बेगूसराय के बेरोजगारों के हो रहे उपेक्षा का भंडाफोड़ होगा। बल्कि सुरक्षा के साथ हो रहे खिलवाड़ का भी खुलासा हो सकता है। लेकिन इसका खुलासा करने का प्रयास ना तो प्रबंधन करता है और ना ही मजदूर हित की बात करने वाले संघ-संगठन। अब जब वरिष्ठ भाजपा नेता अमरेन्द्र कुमार अमर द्वारा मामला पेट्रोलियम मंत्री, डीएम एवं रिफाइनरी के कार्यपालक निदेशक तक उठाया गया है तो स्थानीय बेरोजगार लोगों में काम मिलने की कुछ आशा जगी है।
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