बिहार
बेगुसराय सार्वजनिक नहीं होगा परिवार का पात्र विकास आयुक्त, जाति गणना-2022 का पात्र जारी, संकलित रूप से इसे तैयार किया गया
SANTOSI TANDI
5 Oct 2023 6:18 AM GMT
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परिवार का पात्र विकास आयुक्त, जाति गणना-2022 का पात्र जारी, संकलित रूप से इसे तैयार किया गया
बिहार विकास आयुक्त विवेक कुमार सिंह ने कहा है कि जाति आधारित गणना के आंकड़ों का उपयोग राज्य सरकार समावेशी विकास की नीतियों, विकासोन्मुखी कार्यक्रम एवं आधारभूत शैक्षणिक सुधार के लिए करेगी. इसके साथ-साथ जरूरतमंदों के लिए सामाजिक उत्थान एवं आर्थिक सुदृढ़ीकरण सहित अन्य सकारात्मक कार्यों के लिए किया जा सकेगा. विकास आयुक्त मुख्य सचिवालय में जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी करने के बाद पत्रकारों से बात करे रहे थे.
विकास आयुक्त ने कहा कि जाति आधारित गणना-2022 में संकलित क्षेत्रवार व परिवारवार सभी सामाजिक एवं आर्थिक आंकड़े सरकार के स्तर पर प्राप्त हो गए हैं. इन सभी आंकड़ों का सरकार के स्तर पर विश्लेषण करते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी. श्री सिंह ने कहा कि जाति आधारित गणना के तहत आम लोगों की स्वैच्छिक भागीदारी के सिद्धांत को अपनाया गया है. इसमें सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण सहित कुल 13 सूचकों के संदर्भ में भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण से समाज के सभी वर्गों के आंकड़े संग्रहित किये गए हैं. इसके पहले विकास आयुक्त ने समान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव बी.राजेन्दर, नगर विकास व आवास विभाग के प्रधान सचिव संतोष मल्ल के साथ मिलकर जातीय गणना-2022 के आंकड़े जारी किये.
ऐसे किया गया कार्य चार्ज पदाधिकारी के अधीन प्रत्येक जिले के प्राथमिक शिक्षक व अन्य कर्मियों सहित कुल 2,34,667 प्रगणकों व 40,726 पर्यवेक्षकों सहित लगभग तीन लाख कर्मियों को इस कार्य में लगाया गया. जाति आधारित गणना के प्रथम चरण के कार्य मकान नंबरीकरण व सूचीकरण के लिए कर्मियों को तकनीकी व व्यावहारिक रूप से प्रशिक्षित किया गया. इसके बाद 7 जनवरी 2023 से 21 जनवरी तक मकान सूची का निर्माण किया गया. हालांकि बाद में यह कार्य 31 जनवरी तक बढ़ाकर पूरा किया गया. दूसरे चरण का कार्य 15 अप्रैल 2023 से प्रारंभ किया गया. सर्वेक्षण का कार्य 5 अगस्त 2023 तक पूर्ण करते हुए संपूर्ण आंकड़ों को मोबाइल ऐप के माध्यम से अंतिम रूप से संग्रहित कर लिया गया. प्राप्त आंकड़ों की शुद्धता की जांच के लिए प्रत्येक पंचायत-वार्ड के स्तर पर पांच प्रतिशत रैंडम आंकड़ों (लगभग 7.90 करोड़ प्रविष्टि) की जांच अन्य प्रखंड-नगर निकाय के पदाधिकारियों के माध्यम से कराई गई है.
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