बिहार

Begusarai: भारतीय डाक की सेवाओं का आधुनिकीकरण व डिजिटल बनाने की मांग

Admindelhi1
10 Aug 2024 4:27 AM GMT
Begusarai: भारतीय डाक की सेवाओं का आधुनिकीकरण व डिजिटल बनाने की मांग
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जर्जर भवन में काम कर रहे हैं डाक अधिकारी और कर्मी

बेगूसराय: भारत सरकार एक तरफ जहां भारतीय डाक की सेवाओं का आधुनिकीकरण व डिजिटल बनाने के लिए रोजाना नये कदम उठा रही है. वहीं, दूसरी ओर भारतीय डाक सेवा में कार्यरत अधिकारी व कर्मी जर्जर और कभी भी धराशायी हो जाने की आशंका के बीच जर्जर भवन में रोजाना भय के साये में कार्य निष्पादित करने को विवश हैं. यह हाल है कुरहा बाजार स्थित साहेबपुरकमाल प्रखंड के प्रखंड डाकघर है. आलम यह है कि मूसलाधार बारिश के दौरान तेज बिजली कड़कने की स्थिति में डाकघर में कार्यरत लोगों के हृदय की धड़कन बढ़ जाती है. डाकघर का भवन इतनी जर्जर है कि डाकघर के करीब-करीब सभी हिस्सों से बारिश के पानी की तेज धार बहती है. इससे कर्मी भींग जाते हैं और कागजातों को भारी नुकसान पहुंचता है. डाकघर के कर्मी बताते हैं कि तेज बारिश की स्थिति में जब वे खुद को भीगने से बचाते हैं तो कागजात भींग जाता है. जब कागजात भीगने से बचाते हैं तो खुद भींग जाते हैं. डाकपाल राजीव आनंद बताते हैं कि छत इतनी जर्जर हो चुकी है कि हर जगह पानी का तेज रिसाव होता है. इससे कंप्यूटर व बिजली के उपकरण को नुकसान पहुंचता है. कभी-कभी तो बिजली से संचालित होने वाले उपकरणों में करंट प्रवाहित हो जाती है.

यह बेहद खतरनाक है. डाकघर में कार्यरत अधिकारियों व कर्मी बताते हैं कि भवन की छत पर त्रिपाल डाल उपकरणों को बचाया जा सकता है. लेकिन छत धराशायी होने पर उनकी जान कैसे बचेगी. बताया कि ग्राहकों के लिए छप्पर का शेड है. यह इतना जर्जर है कि इस बरसात में धराशायी होना तय है और कभी कभी हादसा हो सकता है. डाकपाल आनंद ने बताया कि वे इस संबंध में विभाग के वरीय अधिकारियों को कई बार लिखित व मौखिक रूप से स्थिति से अवगत कराते हुए डाकघर को अतिशीघ्र कहीं और शिफ्ट करने की गुहार लगा चुके हैं.

कुंभी पंचायत में दो हजार बकरे की दी गई बलि: भगवती बिषहरी के प्राचीन मनोकामना मंदिर कुंभी मे नागपंचमी के दिन श्रद्धालुओ का तांता सुबह से प्रारंभ हो गया. प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी बलिदानियो की लंबी कतार देखी गयी. पूजा समिति के पुजारी खलट शर्मा, महेंद्र शर्मा, मुखिया अशोक महतो, उपमुखिया चंदन कुमार राजन, संतोष पासवान, रामबिलाश सहनी, अमरजीत यादव, प्रमोद कुशवाहा, रमेश यादव आदि बताते हैं इस तक लगभग 2000 बकरे के बलिदान के लिए रजिस्ट्रेशन हो चुका है.

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