
भागलपुर न्यूज़: जिले में करीब 112 साल पहले तक अस्तित्व में रहे पेड़ों को न केवल वन विभाग ने फिर से ढूंढ़कर निकाला, बल्कि इनमें से अधिकांश प्रजाति के पेड़ों को शहर के ऐतिहासिक सैंडिस कंपाउंड में लगाया जा चुका है. इसके बाद अब इन पेड़ों में बार कोड लगाने की तैयारी की जा रही है.
अगर सब कुछ सही रहा तो इन पेड़ों पर लगे बार कोड को स्कैन करने पर लोग इनकी उपयोगिता, महत्व से लेकर इनके बारे में विस्तार से जान सकेंगे. अतीत हो चुके इन पेड़ों के बारे में प्रमंडलीय वन विभाग के पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. संजीत कुमार गुप्ता ने बताया कि साल 1911 में भागलपुर के तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर जे. बायर्न ने भागलपुर गजेटियर लिखी थी. इसी पुस्तक में उन्होंने भागलपुर में कई प्रकार के औषधीय एवं पर्यावरण के लिहाज से महत्वपूर्ण पौधों का जिक्र किया था. जब इन पौधों का अध्ययन किया गया तो पता चला कि इनमें से 67 प्रजाति के पेड़ तो आज की तारीख में जिले में हैं ही नहीं. इसके बाद डीएफओ भरत चिंतापल्ली के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर विलुप्त हो चुके पौधों को फिर से जिले में लगाने का निर्णय लिया गया. इसमें प्रमंडलीय वन विभाग के पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. संजीत कुमार गुप्ता, रेंजर भागलपुर बीके सिंह आदि को शामिल किया गया.