बिहार
श्री उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव सेमिनार का पुरातत्व अधिकारी ने किया बहिष्कार
Shantanu Roy
5 Nov 2022 5:58 PM GMT
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सहरसा। जिले के महिषी में श्री उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन 4 से 6 नवंबर तक किया गया है। जिसके तहत सेमिनार सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं विविध प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। शनिवार को मंडन धाम पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में बीएचयू के आंजनेय शास्त्री,स्टीफन कॉलेज के पंकज मिश्र, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कामदेव झा एवं पुरातत्व विभाग के रीजनल डायरेक्टर फणीकांत मिश्र को भी आमंत्रित किया गया था। लेकिन पुरातत्व अधिकारी मिश्र ने प्रमंडलीय आयुक्त को ईमेल के माध्यम से नाराजगी व्यक्त कर कार्यक्रम में आने से असमर्थता व्यक्त की।
उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा महोत्सव के अंतर्गत आयोजित सेमिनार में आमंत्रित किया गया था लेकिन उसमें संगोष्ठी में मेरी भूमिका के बारे में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया। वही केवल मुझे शोध पत्र के लिए 30 मिनट का समय मात्र प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार में 35 वर्षों का अनुभव है और मेरी सेवानिवृत्ति के बाद मैं विश्व विरासत प्रकोष्ठ के संस्थापक निदेशक के रूप में डब्ल्यूबी के सबसे बड़े विश्वविद्यालय में एक बहुत प्रतिष्ठित पद धारक हूं। ऐसी स्थिति में मुझे अनदेखा कर इस संगोष्ठी के लिए नियत स्थान प्राप्त नहीं किया गया है। इसीलिए वे इस सेमिनार में भाग लेने में असमर्थ हैं।ज्ञात हो कि पुरातत्व विभाग के रीजनल डायरेक्टर जो वर्तमान में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद विश्वविद्यालय कोलकाता पश्चिम बंगाल में हेरीटेज सेल में कार्यरत हैं। उनके द्वारा 2007 एवं आठ में अंतरराष्ट्रीय संस्था यूनेस्को द्वारा मंडन धाम को विश्व धरोहर मना कर अपने धरोहर को संजोये रखने का काम किया। साथ ही पुरातत्व विभाग के प्रबंध निदेशक को इस स्थान का उत्खनन एवं संरक्षण के लिए भी अपने पद पर रहते हुए लिखा।
इस मौके पर सेमिनार का मंच संचालन नंदकिशोर चौधरी एवं स्वागत भाषण डॉ ललित मिश्र के द्वारा किया गया। मौके पर शिक्षाविद दिलीप कुमार चौधरी, जटाशंकर झा, अनिल कांत झा, जवाहर ठाकुर, मिथलेश मिश्र, घनश्याम झा,सुरेश चौधरी सहित अन्य ग्रामीण मौजूद थे। ग्रामीणों ने बताया कि सेमिनार में हर वर्ष एक ही बात की चर्चा की जाती है। लेकिन उस पर कोई अमल नहीं किया जाता है।ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा इस तरह के कार्यक्रम को बंद कर मंडन धाम को विकसित करने तथा उनके बताए हुए मार्गों पर पैसों को खर्च करने की मांग की।
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