दरभंगा न्यूज़: बच्चों पर एईएस का दोहरा अटैक हो रहा है. एसकेएमसीएच में इस महीने मिले एईएस पीड़ित दो बच्चों को पिछले वर्ष गर्मी में भी यह बीमारी हुई थी. डॉक्टरों की पड़ताल में यह सामने आया है. डॉक्टरों के मुताबिक, गर्मी के अलावा अब ठंड के महीने में भी एईएस के केस मिलने लगे हैं.
इस साल जनवरी में मिला एक मरीज पूर्वी चंपारण और दूसरा मुजफ्फरपुर के मीनापुर का है. हालांकि, दोनों बच्चों को ठीक होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. दोनों बच्चों में एईएस का कारण हाइपोग्लाइसीमिया बताया गया. जनवरी 2019 में एक केस और जनवरी 2022 में तीन केस सामने आए थे.
पिछले साल जनवरी में मिला एक मरीज पारू, दूसरा सीतामढ़ी और तीसरा अररिया जिले का था. एसकेएसमीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि एईएस का दोबारा अटैक भी हो सकता है. मड़वन पीएचसी में एईएस के लिए अभी कोई तैयारी शुरू नहीं हुई है.
एम्स जोधपुर की टीम जानेगी कारण
ठंड के महीने में एईएस के केस मिलने पर एम्स जोधपुर की टीम भी इसका कारण जाएगी. एम्स जोधपुर के प्रो. अरुण कुमार सिंह ने बताया कि जून-जुलाई में होने वाला एईएस मेटाबॉलिक है. ठंड में होने वाला एईएस नॉन मेटाबॉलिक है जो कई कारणों से हो सकता है. बच्चे को अगर टीबी हो या डेंगू हुआ हो, तब भी उसे एईएस हो सकता है. ठंड में होने वाले नॉन मेटाबॉलिक एईएस का डाटा लेकर इसके कारणों की छानबीन करेंगे.
पीएचसी की टीम जाएगी पीड़ितों के गांव
मीनापुर में एईएस का मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया है. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि पीएचसी प्रभारी को निर्देश दिया गया है कि वे गांव में जाकर उन बच्चों को खोजें जिन्हें पहले एईएस हुआ हो. एईएस पीड़ित बच्चे की लगातार निगरानी करने का भी निर्देश दिया गया है.
जिस गांव में बच्चे कुपोषित हैं और पहले एईएस हो चुका है, उन्हें चिह्नित कर उनके पोषण के लिए आईसीडीएस विभाग से संपर्क किया जाएगा. डॉ. सतीश ने कहा कि बच्चों को दोबारा एईएस नहीं हो, इसके लिए हम लगातार काम करेंगे. इस बार जीरो डेथ पॉलिसी पर काम कर रहे हैं