मुजफ्फरपुर: शिक्षा विभाग ने कहा है कि तथाकथित स्वायत्तता के नाम पर राज्य के विश्वविद्यालयों में अराजकता फैलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. राज्य सरकार विश्वविद्यालयों पर हजारों करोड़ का सहयोग करती है. ऐसे में खुली छूट नहीं दी जाएगी. शिक्षा विभाग ने यह बात राजभवन को जवाबी पत्र में कही है. विभाग ने कहा कि राज्य सरकार न सिर्फ करदाताओं के प्रति उत्तरदायी रहती है, बल्कि विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों के प्रति भी जवाबदेह है. अगर कोई विश्वविद्यालय अपने प्राथमिक उद्देश्य को पूरा करने में असफल होता है तो राज्य सरकार जरूर हस्तक्षेप करेगी. साथ ही, संबंधित रिपोर्ट मांगेगी और विश्वविद्यालयों की बैठक भी बुलाएगी. इसलिए विभाग अपने उस आदेश को वापस नहीं लेगी, जिसमें बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के कुलपति और प्रतिकुलपति का वेतन बंद किया गया है. साथ ही, उनके वित्तीय अधिकार पर रोक लगाई गई है.
राजभवन ने कहा था- वेतन रोकना कुलाधिपति के अधिकार का अतिक्रमण
शिक्षा सचिव बैद्यनाथ यादव ने राज्यपाल के प्रधान सचिव रोबर्ट एल चोंग्थू को यह पत्र भेजा है. मालूम हो कि 17 अगस्त को राजभवन ने विभाग को पत्र लिखा था. इसमें बीआरए विवि के कुलपति और प्रतिकुलपति के वेतन रोकने का आदेश वापस लेने को कहा था. राजभवन ने कहा था कि शिक्षा विभाग को ऑडिट कराने का अधिकार है, पर वेतन रोकने आदि की कार्रवाई कुलाधिपति के अधिकार क्षेत्र पर अतिक्रमण है.
आदेश वापस नहीं होगा
राजभवन व विभाग के बीच बीआरए बिहार विवा, मुजफ्फरपुर के कुलपति-प्रतिकुलपति का वेतन बंद करने को लेकर मतभेद सामने आया था. गत 17 अगस्त को राजभवन ने शिक्षा विभाग के उस आदेश पर आपत्ति जतायी थी, जिसमें कुलपति-प्रतिकुलपति का वेतन बंद किया गया था. इस आदेश को वापस लेने के लिए राजभवन ने कहा था, पर विभाग ने इससे साफ मना कर दिया है