बाढ़ से टूटीं सड़कों की मरम्मत पर हर वर्ष खर्च हो रहे औसतन 400 करोड़
मुजफ्फरपुर: नेपाल से आने वाली नदियों के कारण बिहार में बाढ़ से हर साल सैकड़ों किलोमीटर सड़कों को नुकसान होता है. इनकी मरम्मत में हर वर्ष औसतन 400 करोड़ खर्च हो रहे हैं. केवल शहरी सड़कों को ही देखें तो पांच साल में बिहार सरकार को 2000 करोड़ से अधिक खर्च करने पड़े हैं.
पथ निर्माण विभाग के अनुसार वर्ष 2017 में वृहद स्तर पर पुल-पुलिया व सड़कों को नुकसान हुआ. इसे अस्थायी तौर पर दुरुस्त करने में 132 करोड़ 39 लाख खर्च हुए, जबकि इनकी स्थाई मरम्मत मद में 647 करोड़ 71 लाख खर्च किए गए. उस वर्ष बाढ़ से क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत पर कुल 780 करोड़ 10 लाख खर्च हुए. वहीं 2019 में बाढ़ के कारण 900.10 किलोमीटर सड़क व पुल-पुलिया क्षतिग्रस्त हुए. इसकी अस्थाई मरम्मत में 99.13 करोड़ तो स्थाई मरम्मत में 396.02 करोड़ खर्च हुए. वहीं वर्ष 2020 में 491.79 किलोमीटर सड़क व पुल-पुलिया को नुकसान पहुंचा. इनकी मरम्मत पर सरकार को 452.35 करोड़ खर्च करने पड़े. इसमें अस्थाई मरम्मत पर 69.57 करोड़ खर्च हुए. वर्ष 2021 में 704.47 किलोमीटर सड़क व पुल-पुलिया को बाढ़ ने नुकसान पहुंचाया. इसे ठीक करने के लिए अस्थायी मरम्मत मद में 68 करोड़ 46 लाख 83 हजार, जबकि स्थायी मरम्मत में 305 करोड़ 98 लाख खर्च हुए. वहीं वर्ष 2022 में 79.97 किलोमीटर सड़क व पुल-पुलिया को नुकसान हुआ. इनकी अस्थायी तौर पर मरम्मत में 25 करोड़ 16 लाख तो स्थायी मरम्मत में 35 करोड़ 34 लाख खर्च हुए. इस वर्ष बाढ़ से क्षति का आकलन अक्टूबर के बाद होगा. यानी पांच वर्षों में बाढ़ से क्षतिग्रस्त पुल-पुलिया व सड़कों की अस्थायी मरम्मत में 394 करोड़ तो स्थायी मरम्मत में 1385 करोड़ खर्च करने पड़े.
डेढ़ दर्जन से अधिक जिलों के रोड होते हैं प्रभावित
वैशाली के राघोपुर की सड़कें हर साल बाढ़ से क्षतिग्रस्त होती हैं. उनकी पहले अस्थायी और फिर स्थायी मरम्मत करनी पड़ती है. इसी तरह झंझारपुर और कोसी के अधिकतर इलाके की सड़कें हर साल क्षतिग्रस्त होती हैं. विभाग के अनुसार मधुबनी, समस्तीपुर, दरभंगा, खगड़िया, मधेपुरा, सुपौल, सहरसा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, कटिहार, पूर्वी व पश्चिमी चम्पारण, समस्तीपुर, भागलपुर, बेगूसराय, छपरा आदि जिलों की स्टेट हाईवे या वृहद जिला सड़कें (एमडीआर) हर साल क्षतिग्रस्त हो रही हैं.