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बिहार। बिहार में शराबबंदी का कानून लागू है। शराबबंदी के इस कानून को शत-प्रतिशत जमीन पर उतारने और उसका प्रभाव दिखाने को लेकर बिहार सरकार की तत्परता अक्सर सामने आती रही है। बिहार सरकार के शराबबंदी कानून को लेकर पूरा मद्य निषेध और उत्पाद विभाग सक्रिय रहता है तो पुलिस की व्यवस्था भी उसी के पीछे है। ऐसे में बिहार सरकार के एक कानून का फायदा भी शराबी उठा ले रहे हैं जिसका भी काट खोज लिया गया है। दरअसल पहली बार शराब पीकर पकड़े जाने पर मात्र 2000 जुर्माना लगाकर छोड़ देने का प्रावधान बिहार सरकार ने हाल के दिनों में किया। इसको लेकर बड़ी संख्या में शराब पीकर पकड़े गए लोग 2000 जुर्माना लगाकर छूट रहे हैं। दोबारा पकड़े जाने पर कड़े प्रावधान और जुर्माना के नियम है। ऐसे में पहली बार पकड़े जाने पर गलत नाम, पता देकर लोग दो हजार जमाना की औपचारिकता पूरा करते हैं और छूट कर घर चले जाते हैं। ऐसे शराबी पर अंकुश लगाने के लिए बिहार सरकार ने आधार कार्ड से बिहार के शराबियों के डेटाबेस को लिंक करने की योजना शुरू कर दी है।
उत्पाद विभाग कार्यालय में लगेगा आधार केंद्र सेंटर
इस संबंध में मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार सरकार के द्वारा भारत सरकार के विशिष्ट पहचान प्राधिकरण को इसके लिए पत्र लिखा गया था और शराबियों के डेटाबेस को आधार कार्ड से लिंक करने की मांग की गई थी। जिसकी अनुमति अब मिल गई है। इसको लेकर बिहार सरकार के द्वारा उत्पाद विभाग के कार्यालय में आधार कार्ड सेंटर लगाने की योजना बना ली गई है।
एक क्लिक में सामने आयेगा शराबी का डाटा
पहली बार पकड़े जाने पर आधार कार्ड से लिंक डाटाबेस से शराबी की पहचान डेटाबेस में दे दी जाएगी। जिसके बाद दूसरी बार पकड़े जाने पर तत्काल यह पता चल जाएगा कि शराब के मामले में व्यक्ति दूसरी बार पकड़ा गया है और कड़े नियम के अनुसार सजा के प्रावधान में उसे शामिल किया। आधार कार्ड से शराबी का डांटा लिंक किए जाने से पूरे बिहार में शराब पीने वालों का डाटा सर्वर पर रहेगा और एक क्लिक में कहीं भी यह जानकारी सामने होगी की शराब के मामले में संलिप्तता है अथवा नहीं।
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