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पटना-नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी शराबबंदी योजना की समीक्षा होगी और सरकार इसमें ढील दे सकती है..ये सवाल इसलिए उठ रहा है कि शराबबंदी पर विपक्षी बीजेपी के साथ ही नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ,आरजेडी एवं हम पार्टी के नेता सवाल उठाते हुए समीक्षा की मांग करने लगें हैं।
जेडीयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने गुरूवार को मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि सिर्फ अधिकारियों के दावे से कोई भी योजना सफल होने वाली नहीं है बल्कि इसमें आमलोगों को सहयोग की जरूरत है.उपेन्द्र कुशवाहा के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति गरम हो गई है और शराबबंदी पर विपक्ष के साथ ही सत्तापक्ष के नेता बयनबाजी करने लगें हैं.उपेन्द्र कुशवाहा के बयान पर आरजेडी ने भी प्रतिक्रिया देते हुए समर्थन किया है और इस कानून के समीक्षा करने की मांग की है.आरजेडी नेता सह विधान पार्षद रामबली चन्द्रवँशी ने कहा कि शराबबन्दी से कोई खास फायदा नही हो रहा है. इसलिए सर्वदलीय बैठक बुलाकर शराबबन्दी की की समीक्षा की जानी चाहिए,क्योंकि शराबबन्दी कानून बिहार में असफल होता दिख रहा है.
सरकार की सहयोगी हम पार्टी के संरक्षक सह पूर्व सीएम जीतनराम मांझी शराबबंदी कानून पर सवाल उठाते रहे हैं और इस कानून से सबसे ज्यादा वंचित वर्ग के लोगों पर कार्रवाई होने की बात कहते हुए इसकी समीक्षा की मांग करते रहें हैं और नीचले तबके के लोगों को कम मात्रा में शराब पीने की छूट की मांग करते रहें हैं.
इससे पहले बीजेपी के नेता शराबबंदी कानून की आड़ में पुलिस और उत्पाद विभाग पर मनमानी का आरोप लगाते रही है और शराबबंदी के फेल बताया है.इधर जनसुराज पदयात्रा पर निकले प्रशांत किशोर ने भी शराबबंदी कानून पर सवाल उठाया है।मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के अऩुसार बिहार की सभी महिलाएं शराबबंदी के नाम पर उनको वोट करती हैं, लेकिन हर कोई जानता है कि घरों में शराब की होम डिलीवरी हो रही है। अफसरशाही का आलम ऐसा है कि गरीब व्यक्ति को अफसर पकड़कर डंडे मार के पैसे कमाती है और अमीर व्यक्ति अंग्रेजी शराब पीता रहता है,पर कार्रवाई ना के बराबर होती है.जब बिहार में शराबबंदी लागू है,तो फिर जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत कैसे हो रही है.
यूं तो शराबबंदी कानून की समीक्षा की बात समय समय पर होती रही है..अब अभी विपक्ष के साथ ही सत्तापक्ष से जुड़े कई नेता भी इस पर सवाल उठाते हुए समीक्षा की मांग कर रहें हैं..ऐसे में देखना है कि सीएम नीतीश कुमार इस मांग पर क्या जवाब देते हैं.
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