बिहार

कोरोना के बाद बिहार में कार की बिक्री ने पकड़ी रफ्तार, पटना-मुजफ्फरपुर में महंगी गाड़ियां खरीद रहे लोग

Renuka Sahu
2 July 2022 3:01 AM GMT
After Corona, car sales picked up pace in Bihar, people buying expensive vehicles in Patna-Muzaffarpur
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फाइल फोटो 

कोरोना संक्रमण का कहर कम होने के बाद बिहार में गाड़ियों का शौक सिर चढ़कर बोल रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना संक्रमण का कहर कम होने के बाद बिहार में गाड़ियों का शौक सिर चढ़कर बोल रहा है। पटना-मुजफ्फरपुर से लेकर कई शहरों के लोग महंगी गाड़ियां खरीद रहे हैं। बीते 6 महीने के भीतर राज्य में 44,000 से ज्यादा फोर व्हीलर गाड़ियों की बिक्री हो चुकी है। गाड़ियों की बिक्री के मामले में पटना पहले और मुजफ्फरपुर दूसरे पायदान पर है। वहीं, दोपहिया वाहनों की ज्यादा बिक्री के चलते गया तीसरे पायदान पर है, लेकिन कमाई में यह चौथे पायदान पर है। पूर्णिया में गया से कम गाड़ियां बिकीं, लेकिन महंगी गाड़ियों की खरीद के कारण यह तीसरे पायदान पर है। वहीं, गाड़ियों की बिक्री के मामले में मोतिहारी पांचवें पायदान पर है तो लेकिन महंगी गाड़ियों की खरीद के कारण कमाई के मामले में पांचवें पायदान पर दरभंगा है।

परिवहन विभाग के अनुसार साल 2019 में मात्र 29 हजार 848 चारपहिया वाहनों की बिक्री हुई थी। कोरोना की शुरुआत वाले साल 2020 में कारों की बिक्री में कमी आ गई। इस साल मात्र 24 हजार 370 चारपहिया वाहनों की बिक्री हुई। वहीं 2021 में चारपहिया वाहनों की बिक्री में इजाफा हुआ। 36 हजार 546 चारपहिया वाहन बिके थे। दोपहिया वाहनों की तुलना करें तो कोरोना से पहले 2019 में जनवरी से जून तक पांच लाख 60 हजार दोपहिया वाहन बिके थे। जबकि इस साल इसी अवधि में मात्र चार लाख 71 हजार 600 दोपहिया वाहनों की ही बिक्री हुई है।
तीन पहिया वाहनों की तुलना करें तो 2019 में 26 हजार 989 तो 2022 में 28 हजार 174 तिपहिया वाहनों की बिक्री हुई। कुल वाहनों की बिक्री देखें तो जनवरी से जून के बीच वर्ष 2020 में चार लाख 96 हजार, 2021 में पांच लाख 25 हजार तो 2022 में पांच लाख 68 हजार गाड़ियों की बिक्री हुई। हालांकि साल 2019 में इस अवधि में छह लाख 52 हजार गाड़ियां बिकी थी।
महंगी गाड़ियां खरीद रहे लोग
बिहार में गाड़ियों पर लग रहे टैक्स का निर्धारण साल 2019 में हुआ था। नियमानुसार एक लाख रुपये तक की गाड़ियों पर 8 फीसदी टैक्स लगता है। एक से 8 लाख तक की गाड़ियों पर 9 फीसदी और 8 से 15 लाख तक की गाड़ियों पर 10 फीसदी टैक्स का प्रावधान है। जबकि 15 लाख से ऊपर की गाड़ियों पर 12 फीसदी टैक्स का लगता है। एक फीसदी रोड सेफ्टी टैक्स अप्रत्यक्ष तौर पर गाड़ी मालिकों से वसूला जाता है।
साल 2019 में 12 लाख 65 हजार गाड़ियों की बिक्री हुई थी और इससे सरकार को 1867 करोड़ रुपये की आमदनी हुई। साल 2020 में मात्र 10 लाख 36 हजार गाड़ियां बिकी हुई और 1735 करोड़ की आमदनी ही हुई। 2021 में 10 लाख 10 हजार गाड़ियों की बिक्री से 1879 करोड़ रुपये की आमदनी हुई। इस साल जून तक पांच लाख 68 हजार से अधिक गाड़ियों की बिक्री हुई और सरकार को 1128 करोड़ 76 लाख लाख की आमदनी हो चुकी है। इस तरह साल 2019 में जहां सरकार को टैक्स के रूप में औसतन प्रति गाड़ी मात्र 14757 रुपये मिल रहे थे वहीं इस वर्ष यह बढ़कर 19 हजार से अधिक हो गया है।
यहां देखें आंकड़े
वर्ष गाड़ियां (लाख में) आमदनी (करोड़ में) टैक्स(औसतन रुपये प्रति गाड़ी)
2018 12.85 1324.06 10304.81
2019 12.65 1867.22 14757.40
2020 10.36 1735.76 16748.75
2021 10.10 1879.36 18612.60
2022- जून 5.68 1128.76 19846.22
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