बिहार

88 साल बाद खंडित म‍िथिलांचल आज रेल नेटवर्क से जुड़ेगी, झंझारपुर से सहरसा की दूरी 100 KM कम हो जाएगी

Renuka Sahu
7 May 2022 2:56 AM GMT
After 88 years, the fractured Mithilanchal will be connected to the rail network today, the distance from Jhanjharpur to Saharsa will be reduced by 100 KM
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फाइल फोटो 

मिथिलांचल के लिए 7 मई 2022 का दिन शुभ होने के साथ ही ऐतिहासिक है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मिथिलांचल के लिए 7 मई 2022 का दिन शुभ होने के साथ ही ऐतिहासिक है. तकरीबन 88 साल के बाद कोसी नदी के कारण दो हिस्‍सों में बंटा मिथिलांचल शनिवार को रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगा. इससे आमलोगों को काफी सुविधा होगी. कोसी नदी पर पुल न होने की वजह से एक से दूसरी तरफ जाने के लिए मौजूदा समय में लोगों को काफी लंबी दूरी तय करना पड़ता है. रेलवे पुल से ट्रेनों का परिचालन शुरू होने से अब लोग सीधी यात्रा कर सकेंगे. झंझारपुर (मधुबनी) से निर्मली (सुपौल) के बीच सीधी ट्रेन सेवा होने से काफी सुविधा होगी. इस पुल के शुरू होने से झंझारपुर से सहरसा की दूरी तकरीबन 100 किलोमीटर तक कम हो जाएगी. रेल मंत्री अश्‍विनी वैष्‍णव नई दिल्‍ली से वीडियोकांफ्रेंसिंग के जरिये कोसी रेलवे पुल से गुजरने वाली ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे.

मिथिलांचल को भारतीय रेल की ओर से शनिवार को बहुत बड़ी सौगात मिलने जा रही है. कोसी नदी के चलते 2 भागों में बंटा मिथिलांचल करीब 88 साल बाद रेलवे के नक्शे पर एक हो जाएगा. कोसी नदी पर रेल पुल और झंझारपुर-निर्मली के बीच आमान परिवर्तन का काम पूरा होने के बाद शनिवार को इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव नई दिल्ली से VC के जरिए मधुबनी जिले के झंझारपुर रेलवे स्टेशन से सुपौल जिले के निर्मली रेलवे स्टेशन और निर्मली से आसनपुर कुपहा तक ट्रेन परिचालन का उद्घाटन करेंगे. बताया जा रहा है कि शनिवार को उद्घाटन के बाद रविवार से दरभंगा जिले के लहेरियासराय स्टेशन से झंझारपुर होते हुए सहरसा तक रेल सेवा पूरी तरह से बहाल हो जाएगी. फिलहाल इस रेलखंड पर प्रतिदिन 3 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन होगा. ये ट्रेनें लहेरियासराय से दरभंगा, सकरी, झंझारपुर, तमुरिया, निर्मली, सरायगढ़ और सुपौल होते हुए सहरसा तक जाएगी.
88 साल पहले तबाह हो गया था रेल पुल
करीब 88 साल बाद इस रेल रूट पर ट्रेनों की आवाजाही शरू होने से मिथिलांचल में खासा उत्साह देखा जा रहा है. बताया जा रहा है कि साल 1934 के पहले इस रूट पर दरभंगा-सहरसा के बीच रेलगाड़ी चलती थी, लेकिन 1934 में आए भूकंप में कोसी नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके बाद से मधुबनी जिले के रेल यात्रियों को सुपौल और सहरसा जाने के लिए दरभंगा , समस्तीपुर और खगड़िया का चक्कर लगाना पड़ता है. शनिवार को जब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव इस रेलखंड पर ट्रेन परिचालन को हरी झंडी दिखाएंगे, तो उसके बाद झंझारपुर से सहरसा की दूरी करीब 100 किलोमीटर कम हो जाएगी. इससे समय और पैसे दोनों की बचत होगी
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