बिहार

18 साल बाद बिहार में सामने आया सबसे बड़ा राजकोषीय घाटा, 10 फीसदी बढ़ गए सरकार के खर्च

Renuka Sahu
1 July 2022 3:16 AM GMT
After 18 years, the biggest fiscal deficit surfaced in Bihar, the expenditure of the government increased by 10 percent
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फाइल फोटो 

बिहार को 18 साल बाद बड़े राजकोषीय घाटे का सामना करना पड़ा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार को 18 साल बाद बड़े राजकोषीय घाटे का सामना करना पड़ा है। 31 मार्च 2021 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष के दौरान राज्य में 29 हजार 827 करोड़ का राजकोषीय घाटा दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15,103 करोड़ रुपये ज्यादा है। राज्य को 2004-05 के बाद दूसरी बार 11,325 करोड़ से ज्यादा राजस्व घाटे का सामना करना पड़ा है। राजस्व लेनदेन का गलत वर्गीकरण और अन्य देनदारियों के गैर-लेखांकन के मामलों ने घाटे को और बढ़ा दिया। हालांकि, जीएसडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के सापेक्ष बकाया ऋण 15वें वित्त आयोग के अनुमानों के भीतर था।

गुरुवार को विधानसभा में भारत के नियंत्रक-महालेखा परीक्षक का राज्य के वित्त पर लेखा प्रतिवेदन पेश किया गया। यह रिपोर्ट 31 मार्च 2021 को खत्म हुए वित्त वर्ष की है। रिपोर्ट के अनुसार टैक्स में बढ़ोतरी के कारण वित्तीय वर्ष 2020-21 में पिछले साल की तुलना में राजस्व प्राप्तियों में 3936 करोड़ (3.17 प्रतिशत) की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस वर्ष मुख्य रूप से प्रतिबद्ध व्यय में वृद्धि के कारण राजस्व खर्च में 13,476 करोड़ (10.69 प्रतिशत) की बढ़ोतरी हुई है।
उधार चुकाने के लिए उधार
साथ ही, बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने पिछले वर्ष की तुलना में परिसंपत्तियों के निर्माण पर खर्च 47.99 प्रतिशत बढ़ा दिया। वर्ष के अंत में बकाया लोक ऋण में पिछले वर्ष की तुलना में 29,035 करोड़ (19.59 प्रतिशत) की वृद्धि हुई। राज्य की देनदारियां साल दर साल बढ़ रही हैं और वर्ष 2020-21 के दौरान 53.92 प्रतिशत से अधिक उधार का उपयोग इसके पुनर्भुगतान के लिए किया गया, जिससे राज्य में परिसंपत्तियों का निर्माण प्रभावित हुआ।
गारंटियों की सीमा निर्धारण के लिए नियम नहीं बना
रिपोर्ट के अनुसार बिहार सरकार ने न तो 12वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार गारंटी मोचन निधि बनायी है और न ही गारंटियों की सीमा निर्धारण के लिए कोई नियम बनाया। वर्ष 2021-21 के दौरान उधर ली गयी राशि का 82.94 प्रतिशत मौजूदा देनदारियों के निर्वहन में उपयोग किया गया। राज्य के पूंजी निर्माण, विकास गतिविधियों के लिए इसका उपयोग नहीं हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार 13 विभागों के तहत कुल व्यय 25 हजार 151.25 करोड़ में से 14 हजार 838.40 करोड़ (59 प्रतिशत) का खर्च अंतिम तिमाही में, जबकि 9,837.20 करोड़ (39.11 प्रतिशत) खर्च मार्च 2021 में किया गया। 31 मार्च 2021 तक 92 हजार 687.31 करोड़ के (3,886 यूसी) उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक संख्या में उपयोगिता प्रमाण पत्र का लंबित रहना, निधि के दुरुपयोग एवं धोखाधड़ी के जोखिम को बढ़ाता है। मार्च 2021 तक 252 व्यक्तिगत जमा खाते में 3,811.33 करोड़ की राशि थी।
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