बिहार

एरोपॉनिक यूनिट सितंबर से हवा में तैयार होने लगेंगे आलू के बीज, इस बीज से 10 गुणा ज्यादा उपज

Admin Delhi 1
16 Jun 2023 9:22 AM GMT
एरोपॉनिक यूनिट सितंबर से हवा में तैयार होने लगेंगे आलू के बीज, इस बीज से 10 गुणा ज्यादा उपज
x

नालंदा न्यूज़: चंडी में है बिहार का पहला सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल (सीओई). इजरायली तकनीक से यहां सब्जी फसलों के उन्नत पौधे तैयार किये जाते हैं. पिछले माह से यहां की हाइड्रोपोनिक यूनिट में बिना मिट्टी के पत्तेदार सब्जियों की खेती प्रारंभ हो चुकी है. अब सितंबर से बिना मिट्टी के हवा में आलू के बीज भी तैयार होने लगेंगे. रोगरहित आलू के बीज सूबे के किसानों को अनुदान पर दिया जाएगा.

अच्छी बात यह कि इस तकनीक से तैयार आलू बीज में बीमारियां नहीं लगती हैं. पारंपरिक खेती के मुकाबले इस तकनीक से तैयार बीज से 10 गुना अधिक उपज मिलती है. एरोपॉनिक यूनिट में फाउंडेशन के बाद ग्रीन हाउस बना दिया गया है. मशीनें लग चुकी हैं. फर्श और पाइप लाइन का काम चल रहा है. खास यह कि एरोपॉनिक यूनिट में जब आलू के बीज मटर दाने के हो जाएंगे तो इसे नालंदा के अस्थावां व राजगीर, छपरा के जलालपुर और सीवान की नर्सरियों (मिट्टी) में लगाया जाएगा. बीज का आकार थोड़ा बड़ा होने पर किसानों को दिया जाएगा. किसानों को यहां बुलाकर एरोपॉनिक ानकारी भी दी जाएगी. हाइड्रोपोनिक और एरोपॉनिक यूनिट के निर्माण पर करीब पांच करोड़ खर्च किया गया है.

क्या है एरोपॉनिक तकनीक हवा में खेती को एरोपॉनिक्स तकनीक कहते हैं. खासकर आलू की. यह मिट्टीरहित विधि है, जहां पौधे उगाए जाते हैं. इस तकनीक में पौधों के लिए पानी में मिश्रित पोषक तत्वों के घोल को समय-समय पर बॉक्स में डाला जाता है. ताकि, पौधे पूरी तरह से विकसित हो सकें. हवा में लटकती जड़ें पोषक तत्वों को अवशोषित करती हैं. पारंपरिक खेती की तुलना में एरोपॉनिक विधि से आलू 10 गुना अधिक पैदावार होती है.

हाइड्रोपोनिक 40 दिनों में तैयार हो जाएंगे पौधे हाइड्रोपोनिक यूनिट में 12 हजार पौधे लगाने की क्षमता है. अभी करीब 50 फीसद क्षेत्र में पांच वेरायटी के पौधे लगाये गये हैं. इनमें केले (पत्तेदार गोभी), कोरिएंडर (धनिया), लेट्यूस (सलाद के पत्ते), बेसिल (तुलसी) व पाकचोयी (पत्तेदार सब्जी) के पौधे हैं. गर्मी थोड़ी कम होगी तो अन्य वेरायटी के पौधे भी लगेंगे. लगाये गये पौधे 35 से 40 दिनों में तैयार हो जाएंगे. इसके बाद उपज मिलने लगेगी. इस विधि में मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती.

पानी में बालू या कंकड़ डालकर पौधे उगाये जाते हैं.

Next Story