सदियों पुरानी नदी में पानी नहीं होेने से खेती पर विपरीत असर
मधुबनी न्यूज़: जिले की बाबूबरही और अंधराठाढ़ी प्रखंड की धमौरा, मिश्रौलिया, पचरूखी, मरूकिया पंचायत क्षेत्र में जीवनरेखा मानी जाने वाली झांकी नदी का अस्तित्व खतरे में है. सदियों पुरानी ये नदी आज खुद प्यासी है. जबकि 30-40 वर्ष पूर्व इसमें सालों भर पानी जमा रहता था जिससे लोगों की खेती होती थी. लेकिन यह नदी आज पूरी तरह सूख गई है.
नदी तट पर बसे मिश्रौलिया, चोंचार, मोगलाहा, मरूकिया आदि विभिन्न गांव के ग्रामीणों के अनुसार बरसाती नदी होने के कारण गर्मी के दिन में सामान्य दिनों से इसमें पानी का बहाव कम हो जाता है. वहीं पूर्व में नदी में पर्याप्त पानी रहने से गर्मी मौसम में मनुष्य व पशुओं को किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती थी.
खीरा, ककड़ी, कद्दू, भिंडी समेत विभिन्न प्रकार की साग सब्जियां और धान, गेंहूं जैसी नकदी फसलें उगाई जाती थीं. इसमें पशुओं को नहलाया जाता था .
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि, पिछले कई सालों से पर्याप्त वर्षा नहीं हो रहा जिससे इसके जलस्तर की गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है.
● जीवनरेखा मानी जाने वाली झांकी नदी का अस्तित्व खतरे में
● बाबूबरही और अंधराठाढ़ी प्रखंड क्षेत्र की नदी हो गई है मौसमी नदी
नदी के उद्धार के लिए जल्द ही केंद्र और राज्य सरकार के संबंधित विभाग को पत्राचार करेंगे. इससे सवा लाख से अधिक आबादी जुड़ी है.
-अख्तर खातून , मुखिया, मिश्रौलिया पंचायत
नदी क्षेत्र से अवैध रूप से हो रहा बालू का उठाव
इससे भूगर्भ जल का रिचार्ज ना होना और नदी का सूखना बड़ा कारण माना जा रहा. यदि समय रहते अवैध बालू उठाव पर पाबंदी नहीं लगी तो वह दिन दूर नहीं जब नदी का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा.