सिवान न्यूज़: प्रखंड क्षेत्र के भीखपुर में निकलने वाले दो बड़े ताजियों का निर्माण शुरू हो गया है. आपसी एकता व भाईचारे का प्रतीक यह ताजिया अंजुमन आब्बासीय व अंजुमन रीजीविया के तत्वधान में बनाया जा रहा है. छोटे इमामबाड़े के नाम से प्रसिद्ध अंजुमन रीजीविया में 80 फीट तो बड़ा इमामबाड़ा अंजुमन आब्बासीय में 84 फीट का ताजिया निर्माण हो रहा है. ताजिया का निर्माण स्थानीय कारीगरों द्वारा खासकर हिंदू - मुस्लिम समुदाय के दोनों वर्गों ने मिलजुल करना शुरू कर दिया है. ताजिया को लेकर भीखपुर के युवक बाहर से भी गांव आ जाते हैं. डॉक्टर एसएम जाहिद ने बताया कि मजलिस का कार्य खान मंजिल व अन्य जगहों पर शुरू हो गया है. उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन अलै. ने बुराई के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने न्याय इंसानियत और अच्छाई को बचाने के लिए संघर्ष करते हुए शहीद हुए. आज भी उनके अनुयायी इस पैगाम को इस ताजिया के द्वारा देते हैं कि हमेशा ही अच्छाई की जीत बुराई पर होती है. इंसान को ईमानदारी व सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहिए.
मजलिस के लिए बाहर से आए हैं मौलाना भीखपुर में मुहर्रम के मजलिस के लिए बाहर से मौलाना आते हैं. इस बार भी सैयद इश्तेशाम अहमद सऊदी अरब के कुवैत से मोहम्मद शफी ईरान से यहां मजलिस के लिए आए हैं. हज कर लौटे मौलाना जकारिया सब इकबाल पटना से आए हैं. सभी लोग जगह - जगह पर मोहर्रम में मजलिस कर रहे हैं.
ताजा उठाने से पहले निकलता है आलम सैयद मोहम्मद रिजवी ने बताया कि मातमी जुलूस निकालने व ताजिया को उठाने से पहले यहां के लोगों द्वारा अलम निकाला जाता है. जो इमाम हुसैन अलै. के प्रतीक माना जाता है. आगे-आगे आलम व पीछे पीछे छोटे बड़े बुजुर्ग और बच्चे जंजीरी मातम करते हुए चलते हैं.