70 फीसदी गरीब नहीं ले रहे सिलेंडर, योजना से दिखने लगा था बदलाव
बक्सर न्यूज़: नुआंव पंचायत के नुआंव गांव की राजमुनी देवी ने बडे़ अरमानों से उज्जवला योजना से रसोई गैस का सिलेंडर लिया था. लेकिन, इसकी कीमतों में लगातार वृद्धि के चलते राजमुनी सहित अन्य लाभुकों को खाली सिलेंडर भराने में परेशानी आने लगी है.
महंगाई के चलते 70 प्रतिशत गरीबों की पहुंच से रसोई गैस दूर हो गई है. अब शाम होते गरीबों के घरों के चूल्हे से धुंए उठने लगते हैं.
योजना से दिखने लगा था बदलाव बीपीएल परिवारों की महिलाओं को सहूलियत देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने 01 मई 2016 को उज्जवला योजना की शुरुआत की थी. वर्षों से चूल्हा फूंककर चेहरा लाल करने वाली महिलाओं को लगा था कि रसोई गैस के साथ उनके जीवन में बदलाव आ जाएगा. उज्जवला योजना का लाभ मिलने के साथ गरीबों के घरों में रसोई गैस पर खाना पकने लगा था. सुबह-शाम खपरैल घरों से उठने वाला धुंआ बंद हो गया था. लाखनडिहरा गांव की मालती देवी ने कहा कि लकड़ी और उपले जमा करने के झंझट से मुक्ति मिल गई थी.
लेकिन, यह व्यवस्था कुछ महीनों तक ही रही. एलपीजी के दाम में वृद्धि होने से रसोई गैस का उठाव करना बूते से बाहर की बात हो गई.
30 फीसदी लोग ही कर रहे उठाव: डुमरांव में उज्जवला के 9448, चक्की में 5036 और चौगाई में 2600 उपभोक्ता हैं. एक आकलन के अनुसार लॉकडाउन में 40 फीसद गरीबों ने गैस भराना बंद कर दिया था. यह संख्या बढ़कर अब 70 फीसद पहुंच गया है. इसके पीछे आर्थिक तंगी की बात सामने आई है. प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी विजय कुमार तिवारी ने बताया कि उज्जवला के कितने लाभुक उठाव नहीं कर रहे है. इसका अभी तक डिटेल उपलब्ध नहीं हो पाया है. लेकिन, यह सच है कि उठाव करने वालों की संख्या घटी है.