नालंदा: अस्पतालों में रजिस्ट्रेशन के बाद 43 हजार गर्भवती ‘गायब’ हो गई हैं. स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा में इसका खुलासा हुआ है. पिछले वर्ष प्रसव पूर्व जांच के लिए जिले के अस्पतालों में 1.37 लाख गर्भवतियों का रजिस्ट्रेशन हुआ था, लेकिन जांच के लिए 72 हजार गर्भवती ही स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचीं. इससे सवाल उठ रहा कि अन्य निबंधित गर्भवती कहां गईं.
दरअसल, गर्भवती की प्रसव पूर्व चार बार जांच कराई जाती है. प्रसव पूर्व जांच का जिम्मा आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम का है. सीएस कार्यालय के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ चंद्रशेखर प्रसाद ने बताया कि शत प्रतिशत गर्भवती की जांच के लिए सभी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है. 43 हजार गर्भवती कहां गईं, इस बारे में प्रखंडों से पता किया जाएगा.
99 फीसदी गर्भवती का हुआ था रजिस्ट्रेशन पिछले वित्तीय वर्ष में जिले के अस्पतालों में 99 फीसदी गर्भवती का रजिस्ट्रेशन हुआ था, लेकिन 52 फीसदी की ही प्रसव पूर्व सभी जांच हुई. स्त्रत्त्ी रोग विशेषज्ञ डॉ प्रेरणा सिंह ने बताया कि गर्भवती के लिए प्रसव पूर्व सभी जांच अनिवार्य होता है. चारों प्रसव पूर्व जांच से पता चलता है कि गर्भवती और बच्चे की स्थिति क्या है. इसी से गर्भवती में हीमोग्लोबिन से लेकर शुगर व बीपी की स्थिति का पता चलता है.