मुजफ्फरपुर न्यूज़: राज्य के विश्वविद्यालयों और अंगीभूत कॉलेजों में वर्ग तीन कर्मियों के 62 प्रतिशत पद खाली हैं. इसका प्रमुख कारण विश्वविद्यालयों में वर्ग तीन कर्मियों की नियुक्ति 20 वर्षों से नहीं होना है. बड़ी संख्या में पद खाली रहने से कार्यों के संचालन में काफी परेशानियां आ रही हैं. इसको देखते हुए शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों से इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. हालांकि, अभी सभी विश्वविद्यालयों से विभाग को पूर्ण ब्योरा प्राप्त नहीं हुआ है.
राज्य के नौ विश्वविद्यालयों ने स्वीकृत पदों और कार्यरत कर्मियों की सूची शिक्षा विभाग को भेजी है. तीन विश्वविद्यालयों से रिपोर्ट नहीं आई है. मगध विश्वविद्यालय से भेजी गई रिपोर्ट स्पष्ट नहीं है. इसलिए नये सिरे से रिपोर्ट मांगी गई है. विभाग ने साक्ष्य के साथ स्वीकृत पदों और उसके विरुद्ध कार्यरत कर्मियों की संख्या मांगी है.
विवि-कॉलेजों में होती है बड़ी भूमिका
वर्ग तीन के कर्मियों की विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में बहुत बड़ी भूमिका होती है. इसमें कई तकनीकी पद भी होते हैं. ऐसे में विश्वविद्यालयों और इसके अधीन कॉलेजों में बड़ी संख्या में वर्ग तीन कर्मियों के खाली पद होने से कार्य प्रभावित होते हैं. एक-एक कर्मी को कई अतिरिक्त प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है. लिपिक, प्रयोगशाला सहायक आदि पद वर्ग तीन में आते हैं.
कर्मचारी चयन आयोग करेगा बहाली
विश्वविद्यालय और अंगीभूत कॉलेज कर्मियों की बहाली राज्य कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से होगी. शिक्षा विभाग ने रोस्टर के साथ पद का पूरा ब्योरा विश्वविद्यालयों से मांगा है ताकि बहाली प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके पर अभी तक सभी विश्वविद्यालयों से यह प्राप्त नहीं हुआ है. पूरी सूची आने के बाद कैबिनेट से स्वीकृति लेकर कर्मचारी चयन आयोग को बहाली के लिए प्रस्ताव भेजने का कार्य शुरू होगा.