बिहार

52 नए कुष्ठ मरीजों की हुई पहचान

Admin Delhi 1
12 Sep 2023 4:37 AM GMT
52 नए कुष्ठ मरीजों की हुई पहचान
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कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमतावाले लोगों में फैल रही यह बीमारी

सिवान: जिले में कुष्ठ रोगियों की संख्या दिन- प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. मिले एक आंकड़े के अनुसार, 52 नए रोगी चिन्हित किए गए हैं. अब जिले के इलाजरत रोगियों की संख्या 206 हो गयी है.

इनमें पुरुष, महिला व बच्चे भी शामिल हैं. लोगों का इम्यूनिटी कमजोर रहने के कारण कुष्ठ रोग का संक्रमण जिले के विभिन्न इलाकों में बढ़ता जा रहा है. यह बीमारी उस वर्ग के लोगों में अधिकतर हो रही है, जो मजदूर या आर्थिक रूप से कमजोर हैं.

पिछले महीने चलाया गया विशेष अभियान कुष्ठ रोगियों की पहचान के लिए 19 से लेकर 28 अगस्त तक जिले में कुष्ठ रोगी खोजी अभियान चलाया गया. इसके लिए कुल 02 हजार 848 टीमों को लगाया गया था. टीम का मुख्य कार्य प्रत्येक घर तक पहुंचकर सदस्यों से लक्षणों के होने की जानकारी लेना था. बताया गया कि कुष्ठ रोग तीन वर्ष के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक को हो सकता है. लेकिन, इस रोग के युवकों में ही होने का अधिकतर खतरा बना रहता है. माइकोबैक्ट्रीरियम लेप्री नामक संक्रमण के कारण हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचता है.

संपर्क में रहने 95 फीसदी लोगों को नहीं होता है कुष्ठ बताया गया कि कुष्ठ रोग को लेकर कई तरह की बातें सामने आती हैं. लेकिन, रोगियों के संपर्क में आने वाले 95 फीसदी लोगों को यह रोग नहीं होता है. संक्रमण का असर मलिन बस्ती व शरीर का प्रतिरोधक क्षमता कम वाले व्यक्तियों पर ज्यादा होता है. बच्चों के जन्म के बाद कोई ऐसा दाग, जहां खुजली न हो और न सूनापन ही हो तो वह कुष्ठ रोग का लक्षण हो सकता है.

● माइकोबैक्ट्रीरियम लेप्री नामक संक्रमण फैलने से होता है कुष्ठ रोग

● हवा के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचती है बीमारी

क्या कहते हैं एनजीओ से जुड़े कंसल्टेंट

एक एनजीओ से जुड़े कंसल्टेंट चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने बताया कि जिले में कुष्ठ रोग होने का मुख्य कारण माइकोबैक्ट्रीरियम लेप्री है, जो हवा के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुचंकर उसे भी संक्रमित कर देता है. हालांकि, शुरूआत में जानकारी मिलने पर रोगी दवा लेकर पूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकता है. वहीं कुष्ठ रोगियों के लिए कई सुविधाएं मुहैया करायी जा रही है.

शरीर में सुन्न दाग जिसमें दर्द या खुजली का ना होना

● मोटा/ लाल रंग का दाग

● मोटा दर्दयुक्त तंत्रिका

● हाथों/ पैरों में झनझनाहट होना

● हाथ और पैर के तलवे में सुखापन होना (पसीना का न आना)

● हाथ और पैर के तलवे में दर्द रहित घाव व जख्म का होना

● आंखों के पलकों को पूर्ण रूप से बंद ना कर पाना

● हाथ और पैर का कमजोर होना या उनमें विकृति आना

● त्वचा पर गांठें आना व कान का मोटा होना या कान पर गाठें होना भी कुष्ठ रोग का लक्षण है

बचाव के लिए उपाय

उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किस प्रकार का कुष्ठ रोग है. एंटीबायोटिक्स का उपयोग संक्रमण के इलाज के लिए किया जाता है. डॉक्टर लंबे समय तक इलाज की सलाह देते हैं, आमतौर पर 6 महीने से एक साल तक. यदि आपको गंभीर कुष्ठ रोग है तो आपको अधिक समय तक एंटीबायोटिक्स लेने की आवश्यकता हो सकती है.

जिले में कहां मिले हैं कितने रोगी

आंकड़े के अनुसार, आंदर में 05, बड़हरिया में 2, बसंतपुर में 2, भगवानपुर हाट में 01, दरौली में 05, दरौंदा में 01, गोरेयाकोठी में 08, गुठनी में 01, हसनपुरा में 02, हुसैनगंज में 01, लकड़ी नबीगंज में 4, महराजगंज में 01, मैरवा में तीन, नौतन में 02, पचरूखी में 02, रघुनाथपुर में 01, सदर ब्लाक में तीन, सिसवन में छह व जीरादेई प्रखंड में कुल 02 रोगी मिले हैं.

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